गांव में रहकर भी सेल्फ स्टडी के बदौलत नहीं बड़ी अधिकारी: जानिए पूरी कहानी

ममता यादव की सफलता की कहानी: ममता यादव कहती है जहाँ चाह वहां राह. IAS ममता यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के बसई गांव की रहने वाली हैं. कभी बचनपन में ममता ने सपना देखा था की मै बड़ी होकर एक अधिकारी बनूँगी. उनका सपना हमेशा से बड़ा था. वो अपने सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करने लगी. उन्होंने अपने गांव के लोगों को यह दिखा दिया कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. आज की सफलता की कहानी ममता की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो छोटे शहरों और गांवों से आते हैं और अपने जीवन में कुछ अच्छा करना चाहते है.

ममता का सफर आसान नहीं था. वह एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती थीं. उनके परिवार में शिक्षा का महत्व था लेकिन उनके पास वह सारी सुविधाएं नहीं थीं जो बड़े शहरों में छात्रों को मिलती हैं. बावजूद इसके ममता ने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने अपने कठिन संघर्ष को कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. ममता का शैक्षिक जीवन गांव के छोटे स्कूल से शुरू हुआ. वहां उन्हें आधुनिक शिक्षा की सारी सुविधाएं नहीं मिल पाती थीं. लेकिन उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें कभी भी पीछे नहीं हटने दिया. ममता ने 12वीं तक की पढ़ाई गांव के ही स्कूल से की. उसके बाद वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के लिए दिल्ली चली गईं.

ममता ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. लेकिन उनकी असली यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के बारे में सोचा. उन्होंने खुद से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की. वो शुरू में किसी भी कोचिंग में एडमिशन लेना उचित नहीं समझी. ममता ने इस दौरान कोचिंग का सहारा लिया लेकिन साथ ही अपनी सेल्फ स्टडी पर भी पूरा ध्यान दिया. उनका मानना था कि सही किताबों और अच्छे अध्ययन से बड़ी सफलता मिल सकती है.

ममता ने एनसीईआरटी और स्टैंडर्ड किताबों का गहन अध्ययन किया. ममता यादव ने कड़ी मेहनत से पूरी तयारी की. पहले प्रयास में ममता ने यूपीएससी में 556 रैंक हासिल की. यह उनका पहला प्रयास था और उनकी मेहनत के परिणामस्वरूप उन्होंने यह सफलता पाई. लेकिन ममता को यह अच्छा महसूस हुआ कि वह एक कदम और आगे बढ़ सकती हैं.

इसलिए उन्होंने दूसरे प्रयास की योजना बनाई. इस बार उन्होंने अपनी तैयारी को और बेहतर तरीके से किया. उन्होंने अपनी कमजोरियों को पहचाना और उन पर काम किया. दूसरे प्रयास में ममता को सफलता मिली. इस बार उन्होंने यूपीएससी 2020 में 5वीं रैंक हासिल की. ममता यादव अपने गांव की पहली महिला बनीं जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की थी. यह उपलब्धि उनके परिवार दोस्तों और पूरे गांव के लिए एक बड़ा सम्मान था.