मासूम रजा खान – एक संघर्षपूर्ण कहानी

बिहार के सीतामढ़ी से आने वाले मासूम रजा खान ने UPSC में 457 रैंक हासिल किया है. मासूम के पिता फूड स्टॉल लगाते हैं और इनकी मां गृहणी हैं. इन परिस्थितियों में भी, मासूम ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए अदम्य संकल्प और मेहनत का परिचय दिया है। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष की कहानी लोगों को प्रेरित कर रही है।

शौचालय का स्वागत शिक्षा से हुआ

मासूम रजा खान का शिक्षा के प्रति बहुत गहरा आसक्ति था, लेकिन उनके पास सुखद शिक्षा की सामग्री की कमी थी। वे सरकारी स्कूल में अध्ययन करते थे और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी। लेकिन मासूम ने हालातों को अपने फव्वारे में नहीं डालने दिया। उन्होंने अपने माता-पिता के साथ मिलकर समस्याओं का समाधान ढूंढ़ा और उन्होंने अपने शिक्षा के लिए जीवन के हर कठिनाई का सामना किया।

मेहनत और साझेदारी का महत्व

मासूम रजा खान ने अपनी UPSC की तैयारी के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया की रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी (RCA) से मदद ली। इसके बावजूद, उन्होंने अपने पिता के साथ फूड स्टॉल पर काम करना भी नहीं छोड़ा। उनके पिता ने कभी उन पर काम को लेकर दबाव नहीं डाला और उन्हें स्वतंत्रता दी कि वे अपनी मेहनत और तैयारी को संघर्ष के रूप में नहीं देखें।

मेहनत और निरंतरता का महत्व

मासूम रजा खान ने अपनी UPSC की तैयारी में बेहद मेहनत की और रोजाना 7-8 घंटे पढ़ाई की। वे यह बताते हैं कि सफलता को पाने के लिए कोई भी शॉर्टकट नहीं होता है, बल्कि ईमानदारी, संकल्प, और निरंतरता की मेहनत की जरूरत होती है।

सामाजिक सरोकारिता

मासूम रजा खान ने यूपीएससी की तैयारी के बीच समाजिक सरोकारिता का भी समय निकाला और वे स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को भी पढ़ाते थे। उनका यह सामाजिक सरोकारिता उनकी तैयारी में आत्मविश्वास और समझ में आया, और उन्हें UPSC में सफलता मिली।

निष्ठा की मिसाल

मासूम रजा खान की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए कोई भी समस्या बड़ी नहीं होती, अगर आप मेहनत, संकल्प, और निरंतरता से काम करें। उनकी माता-पिता की समझदारी और समर्थन ने उन्हें उनके सपनों की पूर्ति में मदद की, और वे अब अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ रहे हैं।

मासूम रजा खान की इस सफलता कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि किसी भी सीमा को पार करने के लिए सिर्फ मेहनत और संकल्प की आवश्यकता होती है, और यह संघर्ष और मेहनत के साथ किया गया तो सफलता जरूर मिलती है।

यह कहानी हमें यह दिखाती है कि समृद्धि का मार्ग कितना भी कठिन क्यों न हो, मेहनत और संघर्ष से ही सम्भव है। यूपीएससी की तैयारी के बीच भी उन्होंने अपने परिवार के साथ मिलकर अपने सपनों को पूरा किया, और उनका यह प्रयास उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

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