हर साल लाखों युवा UPSC की परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन बहुत से उम्मीदवारों को यह धारणा होती है कि केवल अंग्रेजी के माध्यम से ही सफलता पाई जा सकती है। यह कहानी दिलीप कुमार की है, जिन्होंने इस भ्रम को तोड़ा और हिंदी माध्यम से अपनी सफलता की कहानी लिखी।
अंग्रेजी की चुनौती और हिंदी की मजबूती
दिलीप कुमार ने अपनी शिक्षा हिंदी माध्यम से पूरी की थी। उनके आसपास का वातावरण भी हिंदी प्रधान था। दिलीप का अंग्रेजी ज्ञान औसत था, लेकिन हिंदी पर उनकी पकड़ मजबूत थी। जब उन्होंने दो बार अंग्रेजी में इंटरव्यू दिया, तो उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने महसूस किया कि अपनी मातृभाषा में वे खुद को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त कर सकते हैं।
हिंदी में इंटरव्यू देने का निर्णय
तीसरी बार जब दिलीप कुमार ने UPSC की परीक्षा दी, तो उन्होंने इंटरव्यू के लिए हिंदी भाषा को चुना। परीक्षा उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से ही दी थी, लेकिन इंटरव्यू हिंदी में देने का फैसला किया। यह निर्णय उनके लिए निर्णायक साबित हुआ और उन्हें सफलता मिली। 2019 में उन्होंने UPSC परीक्षा में 73वीं रैंक हासिल की।
दूसरे उम्मीदवारों के लिए सलाह
दिलीप कुमार अन्य उम्मीदवारों को सलाह देते हैं कि परीक्षा की तैयारी में सभी विषयों पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए। इंटरव्यू में कभी झूठ न बोलें और अपनी आदतों के बारे में सही जानकारी दें। अपनी भाषा के प्रति गर्व महसूस करें और उसे ही माध्यम बनाकर इंटरव्यू दें, जिसमें आप सबसे ज्यादा सहज महसूस करते हैं।
दिलीप कुमार की सफलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि भाषा माध्यम के चयन से सफलता में बाधा नहीं आती। महत्वपूर्ण यह है कि आप जिस भाषा में सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, उसी को चुनें और आत्मविश्वास के साथ अपनी तैयारी जारी रखें। हिंदी माध्यम से भी UPSC की परीक्षा में सफलता पाई जा सकती है, बशर्ते कि तैयारी ठोस और आत्मविश्वास अटूट हो।