क्रिकेट के मैदान में जब एक खिलाड़ी अपने खेल की सर्वश्रेष्ठ ऊँचाइयों को छूता है, तो वह क्षण सिर्फ उसकी मेहनत का ही नहीं, बल्कि उसके संघर्ष, आत्मविश्वास और समर्थन का भी परिणाम होता है। विश्व कप में मोहम्मद शमी का प्रदर्शन ऐसा ही एक उदाहरण है, जिसमें उन्होंने न केवल विकेटों का ढेर लगाया, बल्कि हर विकेट के साथ अपने संघर्ष की कहानी भी बयां की।

विश्व कप में उनका सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा। शुरुआती चार मैचों में बेंच पर बैठने की निराशा के बाद, शमी ने मैदान पर अपनी काबिलियत का डंका बजाया। उनकी प्रतिभा और अनुभव ने उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह दिलाई और वह भी बिना किसी अस्तित्व संकट के। शमी ने तीन मैचों में 14 विकेट हासिल करके न सिर्फ अपनी टीम के लिए, बल्कि अपने आलोचकों के लिए भी जवाब दिया।

श्रीलंका के खिलाफ मैच में 5 ओवर में 18 रन देकर 5 विकेट लेना और मैन ऑफ द मैच बनना उनकी उपलब्धि का सिर्फ एक पहलू है। उनके आँखों में नमी, उनके संघर्ष और त्याग की कहानी कहती है।

मैच के बाद शमी ने जिस तरह अपनी टीम की एकजुटता, गेंदबाजी इकाई की मजबूती और सहयोगी खिलाड़ियों के प्रति आदर का इजहार किया, वह भारतीय खेल भावना की मिसाल है। उनका कहना कि बड़े टूर्नामेंटों में एक बार लय खो देने पर उसे पाना कठिन होता है,

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