यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, भारतीय प्रशासनिक सेवा का प्रवेश द्वार, हर वर्ष लाखों युवाओं के सपनों को एक मंच प्रदान करती है। 2022 की परीक्षा में, बिहार के बक्सर जिले की गरिमा लोहिया ने अपनी असाधारण मेहनत और दृढ़ संकल्प से दूसरा स्थान हासिल किया। गरिमा की यह उपलब्धि इसलिए और भी खास है क्योंकि उन्होंने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के हासिल की है।
गरिमा की यात्रा आसान नहीं थी। 8 साल पहले उनके पिता के देहांत के बाद, उनकी मां सुनीता देवी ने परिवार को संभाला। वाराणसी के सनबीम स्कूल से 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद, गरिमा दिल्ली चली गईं, जहाँ उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज से अपनी पढ़ाई जारी रखी। कोविड-19 महामारी के दौरान, वह अपने अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा से पहले ही अपने घर लौट आईं।
घर वापस आने के बाद, गरिमा ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उन्होंने अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स पास नहीं किया, लेकिन हार न मानते हुए दूसरे प्रयास में वह सेकंड टॉपर बन गईं। गरिमा की सफलता की रणनीति बहुत ही सरल थी। वह कहती हैं, “मैंने घर पर रहकर ही पढ़ाई की। मैं रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक पढ़ाई करती थी।” इस समय का चुनाव उन्होंने इसलिए किया क्योंकि इस दौरान शांति होती है और उन्हें पढ़ाई में कोई व्यवधान नहीं होता।
गरिमा की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो संसाधनों की कमी के कारण कोचिंग नहीं कर पाते। उनकी उपलब्धि यह सिद्ध करती है कि सच्ची लगन, कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। गरिमा ने न केवल बिहार का नाम रोशन किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि आत्मनिर्भरता और स्व-अध्ययन किसी भी प्रतियोगिता को जीतने की कुंजी हो सकती है।