यूपीएससी की दुनिया में सफलता प्राप्त करना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण यात्रा है, जिसमें निरंतर प्रयास और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। इस यात्रा की एक चमकदार मिसाल हैं शिखा सुरेंद्रन, जिन्होंने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और सघन प्रयासों से यूपीएससी की कठिन परीक्षा में टॉप 20 रैंक हासिल की।
शिखा की यात्रा बेहद प्रेरणादायक है। केरल की रहने वाली शिखा के लिए, आईएएस बनना न केवल उनका सपना था, बल्कि उनके पिता की आकांक्षा भी थी। इंटरमीडिएट के बाद बीटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उन्होंने यूपीएससी की गहन तैयारी शुरू की। शुरुआत में, उन्हें इस परीक्षा की गहराई और जटिलता का पूरा अंदाजा नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसे समझा और अपनी रणनीति बनाई।
उन्हें यूपीएससी के सिलेबस को समझने में चार महीने का समय लगा, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई में नया जोश और दिशा दिखाई। उन्होंने प्रतिदिन 5 से 6 घंटे की पढ़ाई की, साथ ही प्रतिदिन आंसर राइटिंग का अभ्यास भी किया। हालांकि, शिखा को उनके पहले प्रयास में असफलता का सामना करना पड़ा, जिसका मुख्य कारण था अपर्याप्त रिवीजन।
असफलता के बावजूद, शिखा ने हार नहीं मानी और अपनी गलतियों से सीखा। उन्होंने अपनी तैयारी में सुधार किया और रिवीजन पर विशेष ध्यान दिया। उनकी इस दृढ़ता और सुधार की प्रक्रिया ने उन्हें अगले प्रयास में शानदार सफलता दिलाई, जहाँ उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 16 हासिल की।
शिखा की सफलता उन सभी यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए एक प्रेरणा है, जो सपनों को साकार करने की राह पर हैं। उनका मानना है कि एक बार सिलेबस को पूरा करने के बाद, रिवीजन और मॉक टेस्ट पेपर्स का अभ्यास करना जरूरी है। यह न केवल आपकी तैयारी को मजबूत करता है, बल्कि आपको अपनी कमजोरियों को पहचानने और उन्हें सुधारने का मौका भी देता है।
शिखा सुरेंद्रन की यह कहानी न सिर्फ उनके अपार परिश्रम का परिणाम है, बल्कि यह उनके संकल्प और अदम्य साहस का भी प्रतीक है। उनकी यह यात्रा उन सभी के लिए एक मिसाल है जो बड़े सपने देखते हैं और उन्हें साकार करने के लिए अथक प्रयास करते हैं।