यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में संघर्ष और संकल्प की एक असाधारण मिसाल पेश करती है महाराष्ट्र के नवजीवन पवार की कहानी। नवजीवन ने अपने पहले ही प्रयास में इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास कर दिखाया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और अटूट मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है।

नवजीवन का जन्म महाराष्ट्र के एक गांव में हुआ था, जहां उनके पिता एक किसान थे। बचपन से ही पढ़ाई में होशियार नवजीवन को उनके परिवार ने यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली भेजा। उनकी यह यात्रा आसान नहीं थी, उन्हें डेंगू हो गया और वह अस्पताल में भर्ती हो गए। लेकिन उन्होंने इसे अपनी तैयारी के लिए बाधा नहीं बनने दिया।

नवजीवन पवार

यहां तक कि अस्पताल के ICU में भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनका यह जज्बा उनके इलाज कर रहे डॉक्टरों को भी हैरान कर गया। उनकी इस अदम्य इच्छा और मेहनत ने उन्हें सफलता दिलाई, और पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की।

नवजीवन अन्य उम्मीदवारों को यह सलाह देते हैं कि उन्हें लगातार मेहनत करनी चाहिए और सामने आने वाली किसी भी चुनौती से डरे बिना उससे जूझना चाहिए। वह कहते हैं कि आपके द्वारा चुना गया मार्ग कितना भी कठिन हो, यदि आपकी इच्छाशक्ति मजबूत है और आप सही रणनीति के साथ मेहनत करते हैं, तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी। नवजीवन की कहानी यह संदेश देती है कि जीवन में कठिनाइयां आपको रोक नहीं सकतीं, बल्कि वे आपको मजबूत और संकल्पित बनाती हैं।

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