यूपीएससी का सफर कठिनाइयों और अनिश्चितता से भरा हुआ होता है, और सौरभ पांडे की कहानी इसका जीवंत उदाहरण है। वाराणसी के रहने वाले सौरभ ने ग्रेजुएशन के बाद एक सम्मानजनक नौकरी प्राप्त की। लेकिन उनका मन यूपीएससी की ओर आकर्षित था, और इसी के साथ उनका संघर्षपूर्ण सफर शुरू हुआ।

सौरभ ने अपना पहला प्रयास 2014 में किया, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। उनके शुरुआती तीन प्रयासों में वह प्री-परीक्षा में ही असफल रहे। इसके बाद, उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव किया और चौथे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचे, लेकिन फिर भी सफलता उनसे दूर रही। निराशा के इस क्षण में, सौरभ ने यूपीएससी के सफर को खत्म करने का विचार किया, लेकिन उनके परिवार और दोस्तों के समर्थन ने उन्हें इस कठिन यात्रा में बने रहने की प्रेरणा दी।

सौरभ पांडे

2019 में, सौरभ ने अपने छठे और अंतिम प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 66 हासिल कर अपने सपने को साकार किया। इस सफलता ने न सिर्फ उन्हें आईएएस अफसर बनाया, बल्कि उनके अडिग विश्वास और संघर्ष की कहानी को भी जन्म दिया।

सौरभ का मानना है कि यूपीएससी की तैयारी में धैर्य और लगातार मेहनत अत्यंत आवश्यक हैं। उनकी सलाह है कि असफलताओं से निराश होने के बजाय अपनी गलतियों से सीखना और उन्हें सुधारना चाहिए। इसके अलावा, परिवार और दोस्तों का समर्थन इस चुनौतीपूर्ण यात्रा में महत्वपूर्ण होता है। सौरभ की यह यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने सपनों को साकार करने की दिशा में अग्रसर हैं।

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