आज के युग में, जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी शैक्षिक उपलब्धियों को पेशेवर सफलता में बदलने की दिशा में अग्रसर होता है, वहीं कुछ विशेष व्यक्तित्व ऐसे भी होते हैं जो अपरंपरागत मार्ग चुनते हैं। इसी संदर्भ में, रमित चेन्निथला की गाथा एक प्रेरणादायक कहानी के रूप में सामने आती है। एक ऐसे युवा जिसने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने के बाद भी, भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपना भविष्य तलाशने का निर्णय लिया।

रमित का जन्म और पालन-पोषण दिल्ली में हुआ, पर उनकी जड़ें केरल से जुड़ी हुई थीं। शिक्षा के प्रारंभिक चरणों को दिल्ली में पूरा करने के बाद, उन्होंने केरल में अपनी उच्च शिक्षा की दिशा में कदम बढ़ाया। उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पूरा किया, लेकिन शिक्षा के अंतिम चरणों में उनके विचारों में परिवर्तन आया। रमित ने तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने के बजाय, देश की सेवा करने के लिए यूपीएससी के मार्ग को चुना।

रमित चेन्निथला

उनकी इस यात्रा को सफल बनाने में लगभग तीन वर्ष का समय लगा। शुरुआती दो प्रयासों में असफल रहने के बावजूद, रमित ने हार नहीं मानी। उनका दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम उन्हें तीसरे प्रयास में सफलता दिलाने में सहायक रहा। यूपीएससी परीक्षा में उनकी प्रतिष्ठित 210वीं रैंक ने उनके संघर्ष और समर्पण की कहानी को सजीव किया।

रमित की सफलता की कहानी से प्रेरित होकर, उन्होंने अन्य यूपीएससी उम्मीदवारों को भी अमूल्य सलाह दी। उनका मानना है कि नियमित और लगातार प्रयास, साथ ही समाचार पत्रों का नियमित अध्ययन यूपीएससी की तैयारी में काफी महत्वपूर्ण है। वे यह भी सलाह देते हैं कि उम्मीदवारों को अपनी रणनीति के अनुसार कार्य करना चाहिए और विफलता की स्थिति में निराश न होकर अगले प्रयास को और भी बेहतर तरीके से आगे बढ़ाना चाहिए। रमित की यह यात्रा उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने की दिशा में अथक परिश्रम कर रहे हैं।

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