बिहार के एक सामान्य परिवार से आने वाले शेखर कुमार का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने माता-पिता के अथाह समर्थन से आईएएस परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
शेखर की शिक्षा की शुरुआत हिंदी मीडियम स्कूल से हुई, जहाँ उन्होंने अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त की। उनके माता-पिता, जो खुद अधिक शिक्षित नहीं थे, ने शिक्षा के महत्व को समझा और अपने बच्चों को हर संभव सहायता प्रदान की। शेखर के पिता ने हमेशा उन्हें प्रेरित किया कि वे प्रशासनिक सेवा में जाएँ, यह बताते हुए कि देश में केवल कुछ ही लोगों की पूछ होती है और उन्हें डीएम बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए।
शेखर के जीवन में आई गंभीर चुनौतियों में से एक उनके माता-पिता का गंभीर दुर्घटना में घायल होना था, जिससे उनकी माँ कमर से नीचे पैरालाइज़ हो गईं और उनके पिता कोमा में चले गए। इस दुर्घटना ने शेखर और उनके भाई को अपनी पढ़ाई छोड़ माता-पिता की सेवा में लगने को मजबूर किया। लेकिन, उनकी माँ के प्रोत्साहन से उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की।
शेखर के जीवन में एक और कठिन परीक्षा तब आई जब वे यूपीएससी की परीक्षा देने के लिए देर से पहुँचे और उन्हें परीक्षा हॉल में प्रवेश नहीं मिला। इस घटना ने उन्हें गहरे आघात पहुँचाया, लेकिन उनकी माँ के समर्थन और प्रेरणा से उन्होंने एक बार फिर से प्रयास किया और अंततः आईआरएस अधिकारी के रूप में चयनित हुए।
शेखर की कहानी दृढ़ संकल्प, समर्थन, और अदम्य साहस की एक उत्कृष्ट मिसाल है। उनका संदेश स्पष्ट है: आपका पृष्ठभूमि चाहे जो भी हो, मेहनत और लगन से आप अपने सपनों को सच कर सकते हैं। उनकी यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर हैं।