रायबरेली के आशुतोष का जीवन किसी फिल्मी कहानी जैसा लगता है। जहां शुरुआत में इतने संघर्ष हैं और बाद में इतनी सफलता की लगता है कोई स्क्रिप्ट लिखी गयी है। पर यह स्क्रिप्ट आशुतोष ने खुद लिखी है वो भी बेपनाह मेहनत से।
संघर्ष और सफलता का सफर
आशुतोष का जीवन संघर्षों से भरपूर रहा है। छोटे से गांव में जन्मे आशुतोष के माता-पिता ने उन्हें शिक्षा का महत्व सिखाया, लेकिन उनके पास वित्तीय संसाधनों की कमी थी। उन्होंने गांव के सरकारी स्कूल में अध्ययन किया, जहां पढ़ाई के लिए विकल्प थोड़े थे। लेकिन इन संघर्षों ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दिया।
सपनों की उड़ान
आशुतोष ने हमेशा से कलेक्टर बनने का सपना देखा। उनके माता-पिता की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी में धीरज और लगन से काम किया।
न कभी हार, न कभी रुकना
आशुतोष का मानना है कि सफलता तभी मिलती है जब हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए हार्दिक प्रयास करते हैं। उन्होंने दूसरे प्रयास में IAS परीक्षा में सफलता प्राप्त की और अपने सपने को हकीकत में बदला।
समाप्ति
आशुतोष की सफलता का राज उनकी लगन, मेहनत, और निरंतर प्रयास में छुपा है। उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा अपने सपनों की पुर्ति के लिए कठिनाईयों का सामना किया। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए विश्वास और मेहनत सब कुछ होता है।