राजस्थान के शुभम गुप्ता ने साल 2018 में अपने चौथे प्रयास में एआईआर रैंक 06 के साथ यूपीएससी सीएसई परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन्होंने नौकरी भी की थी। जॉब के साथ कैसे उन्होंने प्राप्त की इस सफलता की कुंजी, यह यहाँ पढ़ें।

शुभम गुप्ता की यूपीएससी जर्नी के साथ ही उनकी जीवन यात्रा भी काफी चुनौतीपूर्ण रही। एक साधारण परिवार से आने वाले शुभम का बचपन अनूठा रहा। पैसों की कमी के कारण, जब उनकी उम्र खेलने-खिलाने की होती, तो वे पिता के साथ काम में हाथ बटाते थे। फिर भी, चाहे जैसी भी हालातें हों, शुभम ने कभी भी अपनी समस्याओं का दुखभरा अनुभव नहीं किया और न ही उन्होंने कभी हार मानी।

शुभम गुप्ता

यूपीएससी सीएसई परीक्षा में भी शुभम को अपनी पसंदीदा रैंक प्राप्त करने में काफी समय लगा, लेकिन उन्होंने कभी थक मानने का विकल्प नहीं चुना और अपने कमियों पर काम करते हुए सफलता प्राप्त की। 2018 में 6वीं रैंक प्राप्त करने से पहले, शुभम एक बार और 366वीं रैंक के साथ सेलेक्ट हो चुके थे और उन्हें इंडियन एकाउंट्स सर्विस में ट्रेनिंग के लिए चयनित किया गया था। जबकि ट्रेनिंग के दौरान ही उन्होंने अन्य प्रयास किए। दिल्ली के नॉलेज ट्रैक इंटरव्यू में, शुभम ने परीक्षा की तैयारी के बारे में विस्तार से बातचीत की।

शुभम के एजुकेशनल बैकग्राउंड के बारे में बात करें, तो उन्होंने इकोनॉमिक्स का अध्ययन किया है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में बीए (हॉनर्स) किया है और मास्टर्स के लिए भी एडमिशन प्राप्त किया था। जब उन्हें पहली बार यूपीएससी परीक्षा में सेलेक्शन मिला तो इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की डिग्री पूरी करने के बजाय, उन्होंने इंडियन एकाउंट सर्विस में नौकरी शुरू की और ट्रेनिंग के लिए अपने होम टाउन जयपुर वापस आ गए। यद्यपि उन्होंने बचपन से ही आईएएस ऑफिसर बनने का सपना देखा था, लेकिन उन्हें अपनी रैंक से संतुष्टि नहीं हुई और उन्होंने फिर से प्रयास किये। अंततः, उन्होंने अपने चौथे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 6 हासिल की और उनका आईएएस बनने का सपना पूरा हुआ।

शुभम का कहना है कि इस परीक्षा में केवल ज्ञान का ही नहीं, बल्कि आपके ओवरऑल डेवलपमेंट का भी परीक्षण होता है। इसके लिए, आपको अपने आसपास हो रही घटनाओं पर नजर रखनी चाहिए। शुभम का मानना है कि अध्ययन के साथ-साथ आपको दुनिया के साथ भी कनेक्ट रहना चाहिए। उनके अनुसार, सफलता पाने के लिए सिर्फ पढ़ाई काफी नहीं होती, बल्कि न्यूज पेपर पढ़ना, न्यूज चैनल देखना, और अपनी पर्सनैलिटी को इनहैंस करने वाली हर एक्टिविटी करना भी आवश्यक है।

शुभम की सलाह है कि सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबों से बेस बनाएं और बहुत ज्यादा स्टैंडर्ड बुक्स कलेक्ट न करें। वे कहते हैं कि बिना रिवीजन के इस परीक्षा को कोई पास नहीं कर सकता। उनके अनुसार, डेडिकेशन और डेटरमिनेशन ही वे महत्वपूर्ण तत्व हैं जो किसी भी कैंडिडेट को सफल बनाते हैं। जब हार मिले तो घबराएं नहीं और दोबारा दोगुने जोश के साथ कोशिश करें।

अंत में, शुभम का कहना है कि सही दिशा में सही प्लानिंग और कड़ी मेहनत के साथ, किसी भी मंजिल तक पहुंचना संभव है। यदि सफलता मिलने में देर लगती है तो भी, लेकिन मिलती जरूर है।

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