आईएएस की परीक्षा में सफलता पाना इस समय के युवाओं का सपना होता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह सपना सच्चाई में बदल जाता है। यहाँ हम आपको एक ऐसे ही युवा की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और उत्साह के साथ आईएएस की परीक्षा में दो बार सफलता हासिल की।
अंशुमन राज, बिहार के बक्सर जनपद से हैं, जहाँ की सामाजिक और आर्थिक स्थितियाँ कई बार उनके लिए चुनौतीपूर्ण रही होंगी। उनके परिवार में वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ता था, और कई बार उन्हें पढ़ाई के लिए अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पाई। लेकिन उनके सपनों और उत्साह में कोई कमी नहीं आई।
उनकी परीक्षा की तैयारी उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के साथ की। जहाँ कई लोगों को महंगी कोचिंग क्लासेस और उपकरणों की कमी के कारण तैयारी में तकलीफ होती है, उन्होंने अपनी सामान्य जीवनशैली के बीच से ही प्रेरणा और उपयोगी संसाधनों का सहारा लिया। वे कई बार रातों में लैंप की रौशनी में पढ़ाई करते रहे, ताकि उनके सपनों को साकार करने का मार्ग स्पष्ट और साफ हो।
अंशुमन राज की पहली प्रयास में सफलता उन्हें इर्डाई के पद पर मिली, लेकिन उनका यूपीएससी के प्रति अविचलित उत्साह उन्हें फिर से प्रेरित किया। उन्होंने अपने सपनों की पुनरागमन के लिए निरंतर प्रयास किया और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अथक मेहनत की।
2019 में, अंशुमन राज ने अपने दूसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा में सफलता हासिल की। उन्होंने अपने उत्साह और मेहनत के फलस्वरूप ऑल इंडिया रैंक 107 प्राप्त की, जो उनकी दृढ़ इच्छा और परिश्रम का प्रमाण है।
अंशुमन राज की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता का सच्चा मतलब सिर्फ उद्यम, मेहनत और निरंतर प्रयास है। चाहे रुकावटें कितनी भी आएं, यदि आप में जीवन के हर मोड़ पर सीखने और बढ़ने की इच्छा है, तो सफलत