भारत के सबसे चौड़े एक्सप्रेसवे पर गाड़ी चलाने के लिए जगह नहीं मिल रही है। यही सच्चाई हर रात दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर देखने को मिलती है। यहां ट्रकों और छोटे मालवाहक गाड़ियों का लंबा जाम लग जाता है। जब ट्रकों की संख्या अधिक होती है, तो उन्हें आगे बढ़ने में कई दिक्कतें आती हैं।

दिल्ली – मेरठ एक्सप्रेसवे बनने के बाद मेरठ वालों के लिए दिल्ली अब दूर नहीं हैं, लेकिन बस दिन में नहीं, रात को भी ट्रक चलाने में दिक्कत होती है। ट्रकों को फ्लाईओवर की लंबाई के साथ-साथ लगभग एक किलोमीटर दूर खोड़ा अंडरपास तक और यदि ट्रकों की संख्या अधिक है, तो उससे आगे तक पार्क किया जाता है। जिसकी वजह से यातायात के लिए बनी लेन का आधी चौड़ाई तो ये ट्रक ही घेर लेते हैं।

ट्रकों को समय सीमा का पालन करना होता है, लेकिन ये सीमा दिन में बाधित नहीं होती है, रात को 7 बजे से 11 बजे तक और शाम को 5 बजे से 11 बजे तक ट्रकों और मालवाहक गाड़ियों को एंट्री नहीं मिलती है। जिसकी वजह से ट्रक और अन्य मालवाहक चालक सीमा से पहले एक्सप्रेसवे पर अपने वाहन को पार्क करते हैं। इसका असर ट्रैफिक पर होता है और सड़कों पर जाम बनता है।

ट्रक पार्किंग के कारण ही एक्सप्रेसवे पर भीड़ और जाम लग गया है। ट्रक और छोटे मालवाहक गाड़ियों की कतार से लोग परेशान हैं और इन्हें न तो पुलिस कुछ कहती है और न ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण रोकते हैं।

ट्रक ड्राइवरों को भी यह समस्या निराशा में डालती है। वे कहते हैं कि ट्रैफिक कानून के पालन के कारण रात में दिल्ली में प्रवेश करने में दिक्कत होती है। नो-एंट्री प्रतिबंध के कारण ट्रक सीमा पर रुकते हैं और जाम बनता है।

ट्रक पार्किंग से प्रभावित डीएमई खंड पर गाजियाबाद पुलिस का अधिकार क्षेत्र है। पुलिस समस्या से अवगत है और उचित कार्रवाई करने का वादा किया है।अब यह समस्या ज्यादा हद तक अप्रभावी नहीं रहेगी।

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