भारतीय सिविल सेवा में प्रवेश पाना सपने के लिए हर युवा का सपना होता है, लेकिन इस सपने को हासिल करने के लिए कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है। आईएएस ऑफिसर के.जयगणेश की कहानी भी उसी प्रकार की है, जो संघर्षों और परिश्रम से भरी हुई है।
सपनों की उड़ान: के.जयगणेश ने अपनी कठिनाईयों के बावजूद यूपीएससी की तैयारी में जुट जाने का निर्णय लिया। गरीबी और संघर्षों से घिरे परिवार में पला बड़ा, लेकिन उन्होंने अपने सपनों की उड़ान भरने का इरादा किया।
असफल प्रयासों का मुकाबला: परिश्रम और लगन के साथ, के.जयगणेश ने यूपीएससी की परीक्षा में 6 बार भी नाकामी का सामना किया। इस दौरान उन्हें कई छोटे-मोटे काम करने पड़े और अपने सपनों की ओर बढ़ते रहना पड़ा।
संघर्ष का पथ: इस बीच, के.जयगणेश को आईबी की नौकरी का प्रस्ताव मिला, लेकिन उनका इरादा आईएएस अफसर बनने का था। उन्होंने संघर्ष के रास्ते पर अग्रसर होने का निर्णय लिया और दोबारा यूपीएससी की तैयारी में जुट गए।
सफलता की उच्चाई: 7वें प्रयास में, के.जयगणेश ने अपनी मेहनत और लगन का फल चखा और UPSC की परीक्षा में 156वीं रैंक हासिल की। इस सफलता के साथ, उन्होंने अपने सपनों को हासिल किया और आईएएस अफसर के रूप में अपनी पहचान बनाई।
निष्कर्ष: के.जयगणेश की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों को हासिल करने के लिए लगन, संघर्ष और अदम्य इरादा बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। वह यहाँ तक पहुंचे हैं जहाँ कई लोग छोड़ देते हैं, केवल अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ। इसी से उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि हार नहीं मानना और सपनों की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करते रहना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है।