मुंबई से दिल्ली की रेलगाड़ी से संबंधित खबर: पश्चिम रेलवे ने पिछले रविवार को बोइसर के पास पावर ब्लॉक लिया, जिसमें ‘मिशन रफ्तार’ के लिए अंतिम चरण का काम पूरा हो गया है। पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए ‘मिशन रफ्तार’ परियोजना की शुरुआत हुई थी।
पश्चिमी रेलवे (Western Railway) ने पिछले रविवार बोइसर के पास पावर ब्लॉक लिया, जिसमें मिशन रफ्तार के लिए अंतिम चरण का काम पूरा हो गया है। पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए ‘मिशन रफ्तार’ परियोजना की शुरुआत हुई थी। 1,478 किमी कुल लंबाई और 8 हजार करोड़ रुपये के इस प्रॉजेक्ट के तहत लगभग सभी काम पूरे हो चुके हैं। मिशन के संबंधित अधिकारियों के मुताबिक, 160kmph की स्पीड के ट्रायल जल्द ही शुरू होने जा रहे हैं।
ट्रेनों की स्पीड को बढ़ाने के लिए पूरे रूट पर पटरियों के दोनों छोरों पर फेंसिंग की आवश्यकता है। पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में कैटल और वॉल फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है। सूत्रों के अनुसार, देश की पहली स्लीपर वंदे भारत भी मुंबई से दिल्ली के बीच चलाने की संभावना है।
ट्रेनों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए पूरे रूट पर भारतीय रेलवे की ‘कवच’ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्रेनों में कवच लगा होने से ट्रेनों की सुरक्षा में वृद्धि होगी। पश्चिम रेलवे पर इस तकनीक का सफल ट्रायल हो चुका है।
भारतीय रेलवे में ट्रेनों की औसत गति 70 से 80 किमी प्रतिघंटा है, जो 160 किमी प्रतिघंटा को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए पटरियों के नीचे बेस को चौड़ा किया गया है।