जुनैद अहमद की सफलता की कहानी UPSC परीक्षा के प्रति उनकी अटूट मेहनत और समर्पण का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उनके परिवार का समर्थन और उनकी खुद की दृढ़ संकल्प ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।
UPSC की कठिन यात्रा
हर साल लाखों उम्मीदवार UPSC सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा लेते हैं, लेकिन बहुत कम ही लोग सफलता प्राप्त कर पाते हैं। जुनैद अहमद, बिजनौर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले, ऐसे ही एक सफल उम्मीदवार हैं। 10वीं और 12वीं की परीक्षा में जुनैद के लगभग 60 फीसदी अंक थे। उन्होंने 12वीं के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और इसमें उनके 65 फीसदी अंक आए। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने UPSC परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया। हालांकि, शुरुआत में उन्हें UPSC के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने वर्ष 2013 में तैयारी शुरू की और उनके परिवार का उन्हें पूरा समर्थन मिला।
चार घंटे की प्रभावी पढ़ाई
जुनैद हर दिन सुबह उठकर तैयारी में जुट जाते थे। शुरुआती दिनों में वह 8-10 घंटे पढ़ाई करते थे, लेकिन खुद को तरोताजा रखने के लिए वह खेल-कूद, जिम और फिल्मों का सहारा लेते थे। उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के जामिया रेजीडेंशियल कोचिंग अकादमी से कोचिंग ली। सिविल सेवा परीक्षा की बुनियादी समझ प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपनी पढ़ाई के घंटों को घटा कर 4 घंटे प्रतिदिन कर दिया। जुनैद का मानना है कि पढ़ाई की मात्रा से अधिक उसकी गुणवत्ता महत्वपूर्ण होती है।
असफलताओं से सीख
जुनैद अहमद को शुरू में कई असफलताओं का सामना करना पड़ा। पहले तीन प्रयासों में वे असफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। चौथे प्रयास में उन्हें 352वीं रैंक मिली और उनका चयन भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में हुआ। इसके बावजूद, उन्होंने 2018 में फिर से प्रयास किया और इस बार उनकी ऑल इंडिया में चौथी रैंक आई, जिससे उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का सपना साकार किया।
जुनैद अहमद की कहानी यह संदेश देती है कि कठिन परिश्रम, सही दिशा में प्रयास और धैर्य से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी सफलता उन सभी उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा है जो UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।