प्रेरणा सिंह की कहानी एक प्रेरणास्रोत है जो यह दिखाती है कि कड़ी मेहनत और सही रणनीति से सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। साल 2017 बैच की प्रेरणा सिंह ने इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से होने के बावजूद यूपीएससी सीएसई परीक्षा में टॉप किया।

इंजीनियरिंग से आईएएस तक का सफर

नई दिल्ली की प्रेरणा सिंह ने यूपीएससी के क्षेत्र में आने से पहले इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की थी। उनका मानना है कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है। किसी अन्य काम के साथ पढ़ाई करना संभव नहीं होता। दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यूपीएससी सीएसई के पर्सनेलिटी टेस्ट की तैयारी के बारे में अपने अनुभव साझा किए।

Prerna Singh

डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म (DAF) का महत्व

प्रेरणा के अनुसार, पर्सनेलिटी टेस्ट के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज डिटेल्ड एप्लीकेशन फॉर्म (DAF) है। इसे भरते समय सावधानी बरतनी चाहिए और केवल वही जानकारी दें जो सत्य हो। अपनी हॉबीज और अन्य जानकारी के बारे में गहन जानकारी रखें। किसी भी जानकारी को झूठ या दिखावे के लिए न भरें क्योंकि इंटरव्यू पैनल के सदस्य बहुत जानकार होते हैं और झूठ पकड़ने में देर नहीं करते। इसलिए, ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

समाचार पत्र पढ़ने की आदत

प्रेरणा का मानना है कि समाचार पत्र पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण है। परीक्षा की तैयारी के दौरान और मेन्स परीक्षा के बाद भी समाचार पत्र पढ़ते रहें। इंटरव्यू के दौरान वर्तमान मुद्दों पर चर्चा होती है, इसलिए लेटेस्ट खबरों पर नजर रखना और उन पर अपना दृष्टिकोण विकसित करना आवश्यक है। महत्वपूर्ण मुद्दों पर नोट्स बनाना भी सहायक हो सकता है।

पर्सनेलिटी टेस्ट की तैयारी

पर्सनेलिटी टेस्ट तक पहुंचने का मतलब है कि आपके पास पर्याप्त ज्ञान है। इस चरण में आपकी पर्सनेलिटी का मूल्यांकन होता है। इसलिए, आपके बैठने, चलने, बोलने और विचार व्यक्त करने के तरीके पर ध्यान दिया जाता है। मुख्य परीक्षा से पहले कुछ मॉक टेस्ट देने से अपनी कमियों को जानने और सुधारने में मदद मिलती है। हालांकि, बहुत अधिक मॉक टेस्ट देने से आपकी पर्सनेलिटी की मौलिकता खो सकती है, इसलिए जैसे हैं, वैसे रहें और सहज बने रहें।

न कहने में कोई बुराई नहीं

प्रेरणा का कहना है कि हर किसी को सभी उत्तर नहीं पता होते। अगर कोई सवाल नहीं आता तो सॉरी कहने में कोई बुराई नहीं है। पैनल के सदस्य भी यह समझते हैं कि हर कोई सभी उत्तर नहीं जान सकता। विनम्रता के साथ अपनी असहमति प्रकट करें और कभी भी उत्तेजित न हों।

समाधान पर ध्यान दें

एक अधिकारी के तौर पर समस्या के बारे में बात करना ही काफी नहीं है, बल्कि समाधान के बारे में भी सोचना आवश्यक है। जिस पद के लिए आप प्रयास कर रहे हैं, वहां लोग समाधान का हिस्सा होते हैं, समस्या का नहीं। प्रेरणा की यह सीख हमें बताती है कि सॉल्यूशन-ओरिएंटेड अप्रोच कैसे अपनाई जाए।

प्रेरणा सिंह की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिन परिश्रम, समर्पण और सही रणनीति के साथ किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनकी यह यात्रा न केवल प्रेरणादायक है बल्कि एक उदाहरण भी है कि कैसे सफलता पाई जा सकती है।

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