इंसान अपने लक्ष्य को पाने के लिए अपने जुनून के साथ हर तरह की परिस्थिति से लड़ सकता है. हमारे बीच कई ऐसे उदाहरण है जिन्होंने आर्थिक तंगी से लेकर शारीरिक असक्षमता तक को हरा कर विभिन्न क्षेत्रों में जीत हासिल की है लेकिन कई बार पूरी जान लगा देने के बाद भी बिना आर्थिक मदद के सफलता पाना संभव नहीं हो पाता. सोहना की होनहार खिलाड़ी 14 साल की तमन्ना के साथ भी कुछ ऐसा ही है.
तमन्ना एक गरीब परिवार से संबंध रखती हैं. ये एथलीट हर बाधा को पार करते हुए अपनी सफलता का परचम लहरा चुकी हैं. महज़ 14 साल की उम्र में ही तमन्ना ने साबित कर दिया कि यह धाविका देश का भविष्य है. तमन्ना तपती दोपहरी में स्कूल से आकर पहले मैदान में प्रैक्टिस करती हैं, फिर 5 बजे वापस जाकर अपने घर के काम करती है.
जीत चुकी है 12 से ज्यादा मेडल
न्यूज 18 की विशेष रिपोर्ट के मुताबिक तमन्ना तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए आगे बढ़ रही हैं. उनकी मुश्किलें कितनी बड़ी हो सकती हैं इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनके पास दौड़ने के लिए जूते तक नहीं हैं. ओपन ब्लॉक, स्कूल ब्लॉक में 12 से अधिक मेडल जीत चुकी तमन्ना एक बार नेशनल भी खेल चुकी हैं. अगर उन्हें अच्छी डाइट और मूल सुविधाएं मिल जातीं तो वह मेडल भी जीत सकती थीं. हालांकि मेडल से चूकने के बावजूद, कम संसाधनों में ही उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और कभी हार नहीं मानी.
देश के लिए मेडल जीतने का है सपना
देश के लिए खेल कर मेडल जीतने का सपना देखने वाली तमन्ना पीटी उषा को अपना आदर्श मानती हैं. तमन्ना ने बताया कि एक बार एक इवेंट में उसके पास दौड़ने तक के जूते नहीं थे तो एक समाजसेवी ने उन्हें देखा तो उन्होंने उन्हें जूते दिलवाए. हालांकि, उनकी कामयाबी की ऊंची छलांग में उनकी आर्थिक स्थिति अब भी बहुत बड़ा रोड़ा बनी हुई है. गरीबी से जूझ रहे उनके परिवार में पिता है जो मजदूरी कर अपना घर चला रहे हैं. वहीं उनकी मां घरेलू काम करती हैं. तमन्ना पढ़ाई कर स्कूल से आने के बाद अपनी प्रैक्टिस करती हैं. उसके बाद उन्हें अपने घर का काम करना पड़ता है. 100 मीटर की दौड़ के साथ साथ तमन्ना लॉन्ग जंप भी करती हैं.