हजारीबाग की अमिषा राज ने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया. उनके पिता एक छोटी सी दुकान से पूरे परिवार का पालन-पोषण करते थे. पिता को खोने के बाद कई बच्चे हालात की मार से पढ़ाई लिखाई छोड़ देते हैं लेकिन अमिषा ने हिम्मत नहीं हारी. उसका परिणाम ये रहा कि आज वो सीमा सुरक्षा बल के लिए चयनित हुई हैं. 

बीएसएफ में कांस्टेबल पद के लिए बहाल हुई अमीषा ने इसके लिए खूब पसीना बहाया. आज अपनी इसी मेहनत के कारण उन्होंने अपनी सफलता से पूरे परिवार को गौरवान्वित महसूस कराया है. न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, ईचाक बाजार की रहने वाली अमीषा के पिता स्व राजेंद्र प्रसाद उर्फ सुगा मिठाई-समोसा की दुकान चलाया करते थे. उनके देहांत के बाद घर पर आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी. माता सीता देवी के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया. गरीबी में एक बेटे व दो बेटी का पालन हो रहा था. स्थिति ऐसी हो गई कि घर में खाने के लिए दाना तक नहीं बचा. 

भाई ने संभाली जिम्मेदारी 

इस मुश्किल दौर से निकलने के लिए अमीषा के बड़े भाई सुशांत ने पिता की दुकान की जिम्मेदारी संभालने का फैसला किया और उसे फिर से शुरू कर दिया. अब थोड़ी बहुत कमाई होने लगी थी. ये भाई अपनी बहन के सपने से अच्छी तरह वाकिफ था. यही वजह थी कि उसने बहन की खूब भरपुर मदद की. इंटर के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए भाई ने बहन को हजारीबाग शहर भेज दिया. अमीषा जब भी घर पर होती सुशांत उसे दौड़, हाई जंप, लॉन्ग जंप की प्रैक्टिसके लिए साथ मैदान ले जाता था.

अमीषा की मैट्रिक तक की पढ़ाई राजकीय मध्य विद्यालय ईचाक से हुई है. इसके बाद उसने जीएम कॉलेज ईचाक से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की. फिर केबी वूमेंस कॉलेज हजारीबाग में स्नातक के लिए दाखिला लिया. पढ़ाई के दौरान ही उसने एनसीसी ज्वॉइन कर ली. अमिषा के अंदर शुरू से देश सेवा की भावना थी, यही वजह थी कि वह आर्मी में जाना चाहती थी. जिसके लिए उसने हमेशा दौड़ व फिटनेट पर पूरा ध्यान दिया. वह सुबह शाम मैदान में दौड़ा करती थी.

लोगों के तानों को इग्नोर कर पाई सफलता 

न्यूज 18 से बात करते हुए अमिषा ने बताया कि उसके लिए गांव के माहौल में दौड़ व प्रैक्टिस करना आसान नहीं था. लोग तरह-तरह की बातें कहते थे. अमिषा ने कभी भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपनी मेहनत करती रही. उसके अंदर शुरू से ये बात थी कि जो ठान लिया वो करना ही है. इसका यही परिणाम निकला कि जो तब ताने मारते थे और वही आज तारीफ कर रहे हैं. अमिषा ने बताया कि इस नौकरी में एनसीसी से बहुत मदद मिली है. उनके पास एनसीसी का सी सार्टिफेकेट है. उसका लक्ष्य है कि वह आगे चलकर आर्मी में ऑफिर बने. इसके लिए उसने तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि भले लोगों ने ताने मारे लेकिन परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया. कभी भी किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं की.

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