अगले छह महीने के भीतर एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार हो जाएगा। जिसके बाद लोग प्रदेश की राजधानी देहरादून से देश की राजधानी दिल्ली तक का सफर महज ढाई घंटे में पूरा कर सकेंगे। वर्तमान में दोनों शहरों के बीच 235 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, लेकिन एक्सप्रेस-वे बन जाने के बाद यह दूरी घटकर 213 किलोमीटर रह जाएगी। इसके बनने से उत्तराखंड में पर्यटन बढ़ेगा, आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। चलिए आपको प्रोजेक्ट की खूबियां बताते हैं। एक्सप्रेस-वे दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर के पास से डीएमई से प्रारंभ हो रहा है और शास्त्री पार्क, खजूरीखास, मंडोला, खेकड़ा (बागपत) में ईपीईई इंटरचेंज के माध्यम से मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग 709-बी पर जुड़ जाता है। आगे पढ़िए

इसके बाद बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों से होकर यह ग्रीनफील्ड राजमार्ग सहारनपुर बाईपास पर मिल रहा है। इसके बाद मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग 344 और 307 का अनुसरण करता है, जो छुटमलपुर, गणेशपुर, मोहंड और डाटकाली मंदिर सुरंग से होकर आशारोड़ी पर पूरा होगा। प्रोजेक्ट के तहत सहारनपुर के गणेशपुर क्षेत्र से देहरादून की सीमा तक 12 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड भी बनाई जा रही है। प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 213 किलोमीटर है, जिस पर 11 हजार 970 करोड़ रुपये की लागत आएगी। एलिवेटेड रोड पर 575 पिलर बनाए जाएंगे। 110 वाहन अंडरपास बनाए जाएंगे। इसमें 16 एग्जिट और एंट्री प्वाइंट हैं। बीते सोमवार को लोनिवि मंत्री सतपाल महाराज ने एक्सप्रेस-वे के कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि लक्ष्य के मुताबिक मार्च 2024 तक प्रोजेक्ट पूरी तरह जनता को समर्पित कर दिया जाएगा। दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रदेश के लिए वरदान साबित होगा।

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