भारत में IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अफसर बनना सपनों का सफर होता है, और इस सफर को पूरा करने के लिए मेहनत, समर्पण, और सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। यह कहानी है ऐसे एक सफलता की, जिसमें एक बेटी ने अपने पिता के संघर्ष को पार करके IAS अफसर बनने का सपना पूरा किया।

दिपेश कुमारी नामक इस युवती ने अपने परिवार की मदद करने के लिए अपने पिता के साथ एक चाट-पकौड़ी के ठेले पर काम करना शुरू किया। उनके पिता ने 25 साल तक इस ठेले का संचालन किया और अपने परिवार को बढ़ाने के लिए मेहनती दिन-रात काम किया।

दिपेश कुमारी का सपना बहुत बड़ा था – वह IAS अफसर बनना चाहती थी। वह अपने माता-पिता के संघर्ष को देखकर समझ गई कि सफलता के लिए मेहनत और संघर्ष की आवश्यकता होती है। उन्होंने अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाया और UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की प्रतिस्पर्धा में भाग लिया।

दिपेश ने मेहनत और समर्पण के साथ UPSC की परीक्षा की तैयारी की और अपने लक्ष्य को हासिल किया। उन्होंने UPSC में 93वीं रैंक हासिल की और इसके बाद IAS अफसर के पद पर चयनित हो गई।

दिपेश कुमारी की सफलता का सबसे बड़ा सबक यह है कि मेहनत और संघर्ष के बावजूद, सही मार्गदर्शन और स्वप्न की पूर्ति की जास्ती हो सकती है। उन्होंने अपने माता-पिता का आभारी रहा और उनके संघर्ष को सफलता में बदल दिया। उनका कहना है कि मेहनत और विषय वस्तु के प्रति पूरी एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है।

दिपेश कुमारी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी मुश्किल को पार करके हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं, चाहे वो जितना भी बड़ा या कठिन क्यों न हो। उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के बावजूद अपने माता-पिता का नाम गौरवित किया और दिखाया कि सपनों को हकीकत में बदलने का सबसे बड़ा रास्ता होता है – मेहनत और समर्पण।

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