आजकल के समय में, यूपीएससी (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा एक सपने की पुर्ति के लिए लड़ने वाले युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुकी है। यह परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा में करियर बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है, लेकिन इसमें सफल होना आसान नहीं है। यहाँ हम एक ऐसी कहानी पेश कर रहे हैं जो आईएएस (IAS) तपस्या की है, जिन्होंने एक किसान की बेटी के रूप में अपने सपनों को पूरा किया और देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा में अपनी जगह बनाई।

बचपन से लेकर सपना:


तपस्या का जन्म मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ था, जहां की धरती उनके परिवार के लिए गरीबी और किसानी का सिलसिला चल रहा था। वे एक किसान की बेटी थीं, लेकिन उनके दिल में एक सपना था – IAS अफसर बनने का।

तपस्या ने अपने शिक्षा का आरंभ केंद्रीय विद्यालय से किया और यहीं से उनकी अद्भुत यात्रा शुरू हुई। उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, इंडियन लॉ सोसायटी के एक प्रमुख लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। इस बीच, उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए UPSC की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया।

सफलता की पहली कोशिश:

तपस्या की पहली कोशिश IAS बनने की यूपीएससी परीक्षा में असफल रही। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण सबका संकेत था कि सफलता पाने के लिए और भी मेहनत करनी होगी।

सफलता की दूसरी कोशिश:

तपस्या ने अपनी पहली कोशिश के बाद हार नहीं मानी, बल्कि उन्होंने अपनी तैयारी को और भी मजबूत बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने खुद को सेल्फ स्टडी पर विशेष फोकस करने का निर्णय लिया और ज्यादा से ज्यादा नोट्स बनाने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी रणनीति में भी परिवर्तन किया, जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद करी।

सफलता की पूर्ति:

तपस्या की मेहनत और संघर्ष ने उन्हें उनके लक्ष्य की पूर्ति करने में मदद की। उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2017 में ऑल इंडिया 23वीं रैंक हासिल की। इससे उन्होंने न केवल अपने परिवार का मान बढ़ाया, बल्कि उन्होंने देश के लिए भी एक सेवक के रूप में अपना योगदान देने का संकल्प बनाया।

तपस्या की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए मेहनत, संघर्ष, और सही दिशा में निरंतरता होना महत्वपूर्ण है। किसी की परिश्रम और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकता है, चाहे वो किसी भी परिवेश में हो। तपस्या ने एक किसान की बेटी के रूप में अपने सपनों को साकार किया और हमें यह सिखाया कि सामाजिक प्रतिबंधों को पार करके हम अपने लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।

इसके साथ ही, वह हमें यह भी दिखाती है कि सफलता के लिए दूसरों के साथ मिलकर नहीं, बल्कि अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ काम करके भी हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।

तपस्या की यह आईएएस सफलता की कहानी हमें प्रेरित करती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, सही दिशा में प्रयास करने और न कभी हार मानने का मतलब होता है कि हम अपने सपनों को हासिल कर सकते हैं।

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