हम सभी जानते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा आईएएस और आईपीएस बनने के लिए कितनी कठिन होती है, खासकर जब हमारी पढ़ाई के लिए सामाजिक और आर्थिक संघर्ष का सामना करना पड़ता है। इसी तरह की जीवन यापन कर रही है इल्मा अफरोज, जो एक उदाहरण हैं कि संघर्षों और मुश्किलों के बावजूद सफलता पाना संभव है।
इल्मा अफरोज ने अपने जीवन के बहुत छोटे समय में कई मुश्किलों का सामना किया। जब वह मात्र 14 साल की थी, तब उनके पिता का निधन हो गया, और उनकी मां को घर की जिम्मेदारियों का संभालना पड़ा। माता जी ने किसानी काम करके घर का पालन-पोषण किया और इल्मा ने भी मां के साथ मिलकर कठिन समय में उनका साथ दिया।
इस दौरान, जब इल्मा को अपनी पढ़ाई के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता थी, तो वह बच्चों को ट्यूशन देने का काम करके अपनी और मां की जरूरतों का ध्यान रखती थी। माता जी के साथ ही साथ इल्मा ने भी खेतों में काम किया, लेकिन उनका सपना और मेहनती प्रयास था कि वह एक दिन अपने उच्च शिक्षा के सपनों को पूरा करेंगी।
इल्मा की माता को कई लोगों ने उनकी बेटी की शादी करने की सलाह दी, लेकिन माता जी ने हमेशा अपनी बेटी की पढ़ाई को प्राथमिकता दी और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इल्मा का शिक्षा में भी महारत है, और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से किया, जहां उन्होंने फिलॉसफी में डिग्री हासिल की।
इसके बाद, इल्मा ने अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता के साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप प्राप्त की और अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री यहीं से हासिल की। इस दौरान, वह अपने प्रयासों के साथ-साथ बच्चों को ट्यूशन देने का काम भी करती रही, जबकि कभी-कभी उसे उनकी देखभाल भी करनी पड़ती थी।
इल्मा के प्रयासों और मेहनत के फलस्वरूप, वह न्यूयॉर्क में एक अच्छी कंपनी में नौकरी प्राप्त करने का अवसर प्राप्त करें, लेकिन उन्होंने अपने परिवार और देश के प्रति अपनी कर्तव्यभावना को सबसे महत्वपूर्ण माना। वह विदेश छोड़कर अपने देश में वापस आई और यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया।
2017 में, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाई और ऑल ओवर इंडिया में 217 वीं रैंक हासिल की। उन्होंने अपने सपनों को पूरा करते हुए आईपीएस की सेवा चुनी और हिमाचल प्रदेश के क्या डाल में नियुक्ति प्राप्त की। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मुश्किलों का सामना करने के बावजूद अगर हमारी मेहनत और संकल्प मजबूत हो, तो हम किसी भी मामूली से महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।