हिमांशु नागपाल ने अपने जीवन की सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना किया और उन्हें मात दी। वह आज हमारे समाज में एक प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं।
दुःखद समय में भी अदिग नहीं हुए: हिमांशु ने पिता और भाई की मौत के बावजूद न हार मानी और उन्होंने आखिर में आईएएस में टॉप किया। वह इसे अपने पिता के लिए, जो उन्हें हमेशा प्रेरित करते रहे, और अपने भाई के लिए समर्पित करते हैं।
हिंदी मीडियम की ताकद़: हिमांशु नागपाल ने हिंदी मीडियम स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और यह उनका मानना है कि यह उन्हें अधिक समझदार और संवेदनशील बनाता है।
सेल्फ स्टडी और उत्कृष्टता: हिमांशु ने कोचिंग संस्थानों के बिना खुद से पढ़ाई की और UPSC परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
मिशन मुस्कान: परिवार में दो महत्वपूर्ण लोगों की मृत्यु के बावजूद, हिमांशु ने ‘मिशन मुस्कान’ की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य बिछड़े हुए बच्चों को उनके परिवारों से मिलाना है।
आखिरकार, हिमांशु नागपाल की कड़ी मेहनत, संघर्ष और समर्थन की कहानी हमें यह दिखाती है कि किसी भी परिस्थिति में हार मानना नहीं चाहिए। उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है और हमें यह दिखाती है कि सच्ची समर्पण और संघर्ष से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।