जिद्द और जुनून का मिलना हमेशा सफलता की दिशा में बदलता है, और यह सच है कि कुलदीप द्विवेदी की यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने की कहानी भी इसी सिद्धांत को प्रमाणित करती है। कुलदीप ने अपने जीवन में कम से कम संसाधनों के साथ भी अपने लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प किया और उन्होंने इसे पूरा किया।
कुलदीप ने उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव से अपनी शिक्षा की शुरुआत की और हिंदी मीडियम में ही अपनी पढ़ाई की। उनके पिता का व्यवसाय सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी थी, और उनके पास बहुत कम पैसे थे। इसके बावजूद, कुलदीप ने अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिनाइयों का सामना किया और हिंदी मीडियम में अपनी पढ़ाई करते हुए अपने लक्ष्य को पूरा किया।
कुलदीप ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिंदी और भूगोल में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की शिक्षा प्राप्त की, और फिर यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली पहुंचे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे महंगी किताबें खरीद सकें, लेकिन उन्होंने अपने रूम मेट्स और उधार की किताबों की मदद से यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना शुरू किया। पहली बार में वे प्रीलिम्स पास नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में प्रीलिम्स पास किया। फिर भी, मेन्स परीक्षा में सफलता नहीं मिली।
कुलदीप का उत्तराधिकारी भी अच्छा नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी हारने का मन नहीं किया। फिर वर्ष 2015 में, जब रिजल्ट आया, तो कुलदीप ने 242वीं रैंक हासिल की। उन्होंने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ यूपीएससी की परीक्षा को क्रैक किया और इंडियन रेवेन्यू सर्विस में चयन किया।
कुलदीप की सफलता की खबर उनके पिता के लिए एक बड़ी खुशखबर थी, और वे समझ में नहीं आया कि उनके बेटे ने कैसे अपने लक्ष्य को पूरा किया। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारे पास जज्बा और संघर्ष की भावना हो तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं, चाहे हालात जैसे भी हों। कुलदीप की सफलता की कहानी हमें मोटिवेट करती है कि हालात बदल सकते हैं, लेकिन संकल्प और मेहनत कभी नहीं बदलनी चाहिए।”