इंसान की लगन अगर सच्ची हो तो वो बुरी से बुरी परिस्थिति को पार कर सफलता हासिल कर सकता है. नक्सली और आतंकवादी क्षेत्रों में पैदा हुए बच्चों के लिए उनकी पढ़ाई सबसे बड़ी चुनौती होती है, लेकिन अगर पढ़ने की लगन और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, तो ऐसे क्षेत्रों के बच्चे भी सफलता हासिल कर सकते हैं। इस सत्य का उदाहरण है दंतेवाड़ा क्षेत्र की नम्रता जैन की कहानी, जिन्होंने अनगिनत चुनौतियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा किया।

नम्रता जैन की प्रारंभिक शिक्षा और उनकी पड़ाई

नम्रता जैन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नक्सली क्षेत्र से ही पूरी की। वह दंतेवाड़ा क्षेत्र के निर्मल निकेतन स्कूल में पढ़ती थीं। इस क्षेत्र में अक्सर समय स्कूल बंद ही रहते थे, लेकिन नम्रता का जुनून हमेशा से कुछ कर गुजरने का था। इस बावजूद, उन्होंने कभी भी कठिनाइयों को बड़ा नहीं बनने दिया। उन्होंने यहां से अपनी 10वीं की पढ़ाई पूरी की।

आगे की पढ़ाई के लिए मां की मदद

10वीं करने के बाद, नम्रता के लिए आगे की पढ़ाई के लिए दंतेवाड़ा से बाहर जाना था, लेकिन परिवारवालों ने इसके लिए साफ मना कर दिया। उन्हें अकेले बाहर नहीं भेजना चाहते थे। इस समस्या के बावजूद, नम्रता को उनकी मां का साथ मिला, जिन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों को समझाया और उन्हें मान लिया। इसके बाद, नम्रता ने अपनी तैयारी के लिए बीमार भी होने के बावजूद एक साल का अवकाश लिया और आगे की पढ़ाई करने का निर्णय लिया।

पहले IPS और फिर IAS बनने का संघर्ष

दिल्ली आने के बाद, नम्रता ने 2015 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन उनकी प्रयासों को सफलता नहीं मिली। वह पहली बार प्रिलिम्स भी पास नहीं कर पाईं। इसके बावजूद, वह निरंतर मेहनत करती रही और अगले साल पुनः प्रयास किया। इस बार उन्हें 99वां रैंक मिला, लेकिन आईएएस नहीं मिला। इस रैंक के साथ, वह आईपीएस के लिए चयनित हो गई और मध्यप्रदेश कैडर की IPS अफसर बन गईं।

नम्रता का सपना हमेशा से यूपीएससी पास करके IAS बनने का था, और इसी सपने के साथ, वह आईपीएस तैयारी करती रहीं, दरअसल, वह अपनी तैयारी के दौरान भी यूपीएससी की तैयारी को नहीं छोड़ी।

चुनौतियों का सामना और सफलता

नम्रता ने कई चुनौतियों का सामना किया, जैसे कि परीक्षा में अकेले पढ़ाई करना, परिवार की मदद से दूर रहना, और घर के सदस्यों की मौके पर होने वाली दो मौतों का सामना करना। इन सभी मुश्किलों के बावजूद, वह हारने का नाम नहीं लिया और अपने सपनों को पूरा किया। 2018 में, वह यूपीएससी परीक्षा में 12वा रैंक हासिल करके अपने सपनों को पूरा किया और आईएएस अफसर बन गईं।

नम्रता जैन की कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत, संघर्ष, और निरंतरता से कोई भी अपने सपनों को पूरा कर सकता है, चाहे वो कितनी भी चुनौतियों का सामना करना पड़े। नम्रता जैन ने अपनी सफलता के लिए कई बार अपने आप को प्रमोट किया और हमें यह याद दिलाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए केवल इंसानी इच्छा और मेहनत ही काफी होती है।

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