मथुरा के रहने वाले 62 वर्षीय जफर अली के लिए श्री राम आराध्य हैं. भगवान श्री राम में गहरी आस्था रखने वाले जफर अली बचपन में अपने पिता के साथ रामलीला देखने जाया करते थे. उनके पिता रामलीला में मेघनाद, कुंभकरण और रावण के पुतले बनाते थे. उनकी कई पीढ़ियां पुतले बनाने का काम करती आ रही हैं. अपने बड़ों से ही जफर ने ये काम सीखा. जिसके बाड वह पिछले कई वर्षों से आगरा की ऐतिहासिक रामलीला में रावण, कुंभकरण, मेघनाद और शूर्पणखा के पुतले बना रहे हैं.

न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, जफर अली ने बताया कि उनका धर्म कभी भी उनके काम के बीच नहीं आया. उनका परिवार पिछली पांच पीढ़ियों से भगवान श्री राम के कार्य के लिए लगा हुआ है. जफर ने इस बार आगरा की ऐतिहासिक रामलीला के लिए अनोखा रावण का पुतला तैयार किया है. जो 110 फुट का होगा और मुंह खोलने के साथ साथ पलकें भी झपकायेगा व मुंह से आग उगलेगा. 24 अक्टूबर को दशहरे के दिन भगवान श्री राम अपने तीर से दशानन का वध करेंगे.

जफर अली खान ने बताया कि वे अपने पिताजी के साथ रामलीला में रावण, कुंभकरण, मेघनाद के पुतले बनाने आगरा आया करते थे. अब वे खुद इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं. उनके इस काम की वजह से ही भगवान श्रीराम में उनकी गहरी आस्था है. जफर अली खान का कहना है कि, यह उनका सौभाग्य है कि वे इस रामलीला का हिस्सा हैं. वे जब तक हम रामलीला के काम से आगरा में रहते हैं, तब तक पूरी तरह शाकाहारी रहते हैं. अब राम के काम के लिए अगली पीढ़ी भी तैयार हो रही है. वह कहते हैं कि कर्म ही पूजा है और जन-जन के आराध्य प्रभु श्री राम हैं. उनकी सेवा करने का मौका मिल रहा है. इससे बढ़िया उनके लिए कोई बात नहीं हो सकती.

जफर अली ने अपने इस काम के बारे में बताया कि उन्हें रावण, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला बनाने में एक से डेढ़ महीने की मेहनत लगती है. 6 से 7 लोग अपनी पूरी मेहनत लगा कर इस काम को पूरा करते हैं. वह दिन रात जागकर इन पुतलों को तैयार करते हैं और उनकी 1 महीने की मेहनत मात्र 1 घंटे में जलकर खाक हो जाती है.

आगरा रामलीला ग्राउंड में हर साल उत्तर भारत की सबसे ऐतिहासिक रामलीला की जाती है. लगभग यह रामलीला एक महीने तक चलती है. 24 अक्टूबर को प्रभु श्री राम दशहरे के दिन दशानन का वध करते हैं. स्वरूप के तौर पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं. इस बार रामलीला में रावण के पुतले की ऊंचाई 110 फीट है. पिछले साल यह ऊंचाई 100 फीट थी. इन पुतलों में ग्रीन पटाखे का इस्तेमाल किया गया है, जिससे वातावरण को नुकसान ना पहुंचे.

यह कहानी दिखाती है कि भगवान की सेवा में भक्ति और मेहनत से जुटे व्यक्तियों का सर्वश्रेष्ठ तरीका होता है, और यह जफर अली की पूरे परिवार के संघर्ष और समर्पण की गहरी भावना को दर्शाती है। उनका आदर्श बनकर हम सभी को यह सिखने को मिलता है कि किसी भी काम में समर्पण और प्रेम से किया गया हर काम महत्वपूर्ण हो सकता है, चाहे वो भगवान की सेवा हो या कोई और काम।”

Rohan a young news writer and reporter with 2 years of experience, excels in content writing, latest news analysis, and ground reporting. His dedication to delivering accurate and timely information sets...