सिमी करण का जीवन परिवर्तन की एक अनूठी कहानी है। जन्मी ओडिशा में, सिमी ने अपनी शुरुआती शिक्षा भिलाई से प्राप्त की, जहां उनके पिता एक स्टील प्लांट में कार्यरत थे और उनकी माँ एक शिक्षिका थीं। उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों में बच्चों को पढ़ाने का अवसर प्राप्त किया। यह अनुभव न केवल उनके लिए परिवर्तनकारी था, बल्कि इसने उन्हें एक बड़े और महत्वपूर्ण लक्ष्य की ओर प्रेरित भी किया।
आईआईटी बॉम्बे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, सिमी ने आगे की पढ़ाई और एक इंजीनियर के रूप में करियर बनाने के बजाय, सिविल सेवाओं के प्रति अपना रुझान बढ़ाया। उन्होंने अपने आईआईटी परीक्षाओं के समापन के कुछ ही महीने बाद यूपीएससी की परीक्षा दी और 2019 में 31वीं रैंक हासिल की, जो कि एक असाधारण उपलब्धि है।
सिमी की सफलता की कहानी उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और समर्पण की गवाही देती है। उन्होंने न केवल अपने पढ़ाई के तरीकों में नवीनता दिखाई, बल्कि उन्होंने सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करके और सीमित पुस्तकों से अध्ययन करके अपनी तैयारी को प्रभावी बनाया।
सिमी करण की यह यात्रा उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि कठिन परिश्रम, लगन और सही दिशा में किया गया प्रयास किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी है।