स्मिता सभरवाल की सफलता की कहानी युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। मात्र 22 वर्ष की आयु में आईएएस बनने का उनका उपलब्धि कठिन परिश्रम और समर्पण की मिसाल है। स्मिता ने पहले प्रयास में प्रीलिम्स परीक्षा को पास नहीं किया था, लेकिन वह हताश नहीं हुईं और अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने न केवल परीक्षा पास की बल्कि चौथी रैंक भी हासिल की।
उनकी यह यात्रा दिखाती है कि उम्र और पृष्ठभूमि कोई बाधा नहीं है, जब बात किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने की आती है। उनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था और उन्होंने विभिन्न प्रदेशों में शिक्षा प्राप्त की। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने आईएएस की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित किया। स्मिता की यह यात्रा युवाओं को यह सिखाती है कि समर्पण और कड़ी मेहनत से कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है। उनकी उपलब्धियां और उनका करियर अन्यों के लिए प्रेरणा बनती है।