आज हम बात करेंगे आईपीएस अधिकारी प्रेमसुख डेलू की, जिन्होंने यूपीएससी 2015 की परीक्षा में 170वीं रैंक हासिल की और एक असाधारण कहानी के मालिक बने। प्रेमसुख की यात्रा उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो यूपीएससी की कठिन परीक्षा में सफलता पाना चाहते हैं।
राजस्थान के बीकानेर जिले के नोखा तहसील के गांव रासीसर के निवासी प्रेमसुख ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने गांव के स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज से इतिहास में एमए किया और गोल्ड मेडलिस्ट बने। उन्होंने यूजीसी नेट जेआरएफ की परीक्षा भी पास की।
प्रेमसुख के पिता एक साधारण किसान थे, जो खेती के साथ-साथ गाड़ी चलाकर लोगों का सामान भी पहुंचाते थे। चार भाई-बहनों में सबसे छोटे प्रेमसुख ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। बचपन से ही उनका सपना था कि वह सरकारी अधिकारी बनें। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने कई नौकरियां भी कीं।
प्रेमसुख ने वर्ष 2010 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद पटवारी की परीक्षा दी और उसमें सफल रहे। इसके बाद उन्होंने राजस्थान ग्राम सेवक परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की। फिर वह असिस्टेंट जेलर और सब-इंस्पेक्टर के पद पर भी चुने गए। इसी बीच, उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा देने का फैसला किया।
राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा देकर, प्रेमसुख ने तहसीलदार के पद का चयन प्राप्त किया। इस पद को ग्रहण करने के बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की और अंततः उसे पास कर आईपीएस अधिकारी बने। उन्हें गुजरात कैडर में आईपीएस का पद मिला।
प्रेमसुख डेलू की कहानी यह दिखाती है कि कठिन परिश्रम, दृढ़ संकल्प और लक्ष्य के प्रति समर्पण से किसी भी उच्च लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उनकी यात्रा उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है जो अपने सपनों को साकार करने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं।