आईएएस परीक्षा की सफलता की दिशा में, सर्जना यादव की यात्रा एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उनकी सफलता ने यह सिद्ध किया है कि सही दिशा और कठोर परिश्रम के साथ, कोचिंग के बिना भी आईएएस जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
सर्जना ने अपने पहले दो प्रयास फुल टाइम जॉब के साथ किए। इस दौरान उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2018 में, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से यूपीएससी की तैयारी में लग गईं। उनकी कठिनाईयों और समर्पण का परिणाम 2019 में उनके 126वें रैंक के रूप में सामने आया, जिससे उन्होंने आईएएस बनने का सपना साकार किया।
सर्जना की सलाह है कि यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग वैकल्पिक है। अगर उम्मीदवार के पास उचित स्टडी मैटेरियल और रणनीति है, तो वे सेल्फ-स्टडी के माध्यम से भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि उम्मीदवार को अच्छी गाइडेंस की आवश्यकता हो तो वे कोचिंग की मदद ले सकते हैं।
सर्जना का यह भी मानना है कि यूपीएससी की तैयारी में इंटरनेट और यूट्यूब जैसे संसाधनों का भी महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। उनका कहना है कि पढ़ाई की गुणवत्ता और ध्यान महत्वपूर्ण है, और यह सफलता की संभावना को बढ़ा सकता है।
इस प्रकार, सर्जना यादव की यात्रा उन उम्मीदवारों के लिए एक प्रेरक उदाहरण है जो यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में कोचिंग की आवश्यकता को लेकर असमंजस में हैं। उनकी कहानी से यह स्पष्ट होता है कि सफलता की कुंजी आत्म-संकल्पना, सही योजना और कठोर परिश्रम में निहित है।