भारतीय क्रिकेट की दुनिया में एक युवा गेंदबाज, भुवनेश्वर कुमार, जिन्होंने 2012 में अपने करियर की शुरुआत की, वह आज एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहाँ उनका करियर संकट में है। एमएस धोनी के युग में उन्हें टीम में पहला मौका मिला और उन्होंने अपने प्रदर्शन से धोनी को प्रभावित किया। उनके नेतृत्व में भुवनेश्वर ने टेस्ट क्रिकेट में भी कदम रखा और तीनों ही फॉर्मेट में भारतीय पेस अटैक का नेतृत्व किया।

धोनी के बाद आए बदलाव:

जब धोनी ने कप्तानी छोड़ी, तो विराट कोहली ने टीम की कमान संभाली। इस बदलाव ने भुवनेश्वर के करियर पर भी प्रभाव डाला। 2018 के बाद से भुवी को टेस्ट में नहीं खिलाया गया, और उन्हें वनडे में भी कम मौके मिले। उनका उपयोग अक्सर चोटिल गेंदबाजों के विकल्प के रूप में किया गया, जिससे उनका करियर धीमा पड़ गया।

रोहित शर्मा की कप्तानी में स्थिति:

रोहित शर्मा के कप्तान बनने के बाद भी भुवनेश्वर कुमार की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। नवंबर 2022 से वह टी 20 टीम से भी बाहर हैं, और उन्हें एशिया कप, विश्व कप और अन्य महत्वपूर्ण सीरीज के लिए नहीं चुना गया, जबकि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया। इसके विपरीत, अन्य गेंदबाजों को अधिक मौके दिए गए।

भुवनेश्वर कुमार के करियर की उपलब्धियाँ:

भुवनेश्वर कुमार ने अपने करियर में अब तक 21 टेस्ट में 63 विकेट, 121 वनडे में 141 विकेट, और 87 टी20 में 90 विकेट हासिल किए हैं। वह टी20 में भारत की ओर से सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज भी रहे हैं। टेस्ट में उनकी बल्लेबाजी भी प्रभावशाली रही है, जहाँ उन्होंने 3 अर्धशतक के साथ 552 रन बनाए हैं। वनडे में भी उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 53 रहा है।

इस तरह, एक बेहद प्रतिभाशाली गेंदबाज, जिसने हर मुसीबत में टीम इंडिया का साथ निभाया, वह आज अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर खड़ा है। भुवनेश्वर कुमार का यह संघर्ष भारतीय क्रिकेट के लिए एक गहरा संदेश देता है कि प्रतिभा का सही उपयोग और संरक्षण कितना जरूरी है।

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