निधि सिवाच की यूपीएससी परीक्षा में सफलता की कहानी उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो जीवन की बाधाओं का सामना कर रहे हैं। हरियाणा के गुरुग्राम से आने वाली निधि ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और हैदराबाद में नौकरी की। करीब 2 साल की नौकरी के बाद, उन्होंने यूपीएससी की ओर अपना ध्यान लगाया। यह निर्णय निधि के लिए आसान नहीं था, लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रही।
निधि के जीवन में एक बड़ी चुनौती तब आई जब उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में लगातार दो बार असफलता का सामना किया। इस दौरान, उनके परिवार ने उनके सामने एक शर्त रखी – अगर वह तीसरी बार भी असफल होतीं, तो उन्हें शादी करनी पड़ेगी। इस शर्त के बावजूद, निधि ने अपने सपने को नहीं छोड़ा और और भी अधिक मेहनत की। उनकी लगन और समर्पण ने रंग लाया, और तीसरे प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 83 हासिल कर अपने आईएएस बनने के सपने को सच कर दिखाया।
निधि की इस यात्रा से अन्य यूपीएससी उम्मीदवारों को भी प्रेरणा मिलती है। निधि का मानना है कि इस परीक्षा में छोटी गलतियां भी बड़ी बाधा बन सकती हैं, इसलिए विस्तृत तैयारी और सेल्फ-स्टडी महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, असफलता का सामना करते हुए भी आत्मविश्वास और सकारात्मक रवैया बनाए रखना चाहिए। निधि सिवाच की कहानी यह सिखाती है कि सपनों को साकार करने के लिए दृढ़ संकल्प और अडिग विश्वास आवश्यक हैं।