वैशाली सिंह की कहानी, जो 2018 में यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 8 हासिल कर आईएएस बनीं, सामान्य सफलता की कहानियों से बहुत अलग है। उनका शुरुआती इरादा आईएएस बनने का नहीं था, बल्कि वह वकालत कर रही थीं। लेकिन, एक दिन गरीब बच्चों को देखकर उन्हें यह अहसास हुआ कि वह इन बच्चों की बेहतर मदद आईएएस बनकर कर सकती हैं। इस विचार ने उनके जीवन का रुख बदल दिया।
वैशाली हरियाणा के फरीदाबाद में जन्मी थीं और वे शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थीं। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने दिल्ली से ग्रेजुएशन किया और फिर वकालत शुरू कर दी। उनके जीवन में वह क्षण आया जब उन्होंने गरीब बच्चों के लिए कुछ करने की ठानी और यूपीएससी की ओर अपना रुख किया।
यूपीएससी का सफर उनके लिए आसान नहीं था। पहले प्रयास में वे प्री परीक्षा के बाद बाहर हो गईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दूसरे प्रयास में उन्होंने और बेहतर तैयारी की और न केवल सफलता हासिल की, बल्कि उत्कृष्ट रैंक भी प्राप्त की। इस सफलता ने उन्हें आईएएस सेवा में स्थान दिलाया।
वैशाली का मानना है कि यूपीएससी में सफलता के लिए कड़ी मेहनत और स्मार्ट तरीके से पढ़ाई आवश्यक है। उनके अनुसार, एक अच्छी रणनीति और टाइम मैनेजमेंट इसमें सहायक होता है। उनका कहना है कि मेहनत के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी जरूरी है।
वैशाली की सफलता यह सिद्ध करती है कि समाज के प्रति जिम्मेदारी और दृढ़ संकल्प एक व्यक्ति को उनके लक्ष्य तक पहुंचा सकती है। उनकी कहानी न सिर्फ प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि समाज के प्रति संवेदनशीलता और व्यक्तिगत प्रयासों का मिश्रण कितना शक्तिशाली हो सकता है।