हिमाद्री कौशिक की यूपीएससी सफलता की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो दर्शाती है कि कैसे समर्पण और दृढ़ निश्चय से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। हिमाद्री ने बिट्स गोआ से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की और उसी वर्ष, 2015 में, उन्होंने यूपीएससी का पहला प्रयास दिया। प्री परीक्षा पास करने के बावजूद, वह मेन्स में नहीं चुनी गईं, लेकिन हिमाद्री ने हार नहीं मानी।
2016 में, उन्होंने अपना दूसरा प्रयास दिया और इस बार उन्हें 304वीं रैंक प्राप्त हुई, जिससे उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस में जगह मिली। 2017 में, हिमाद्री ने एक विराम लिया और परीक्षा नहीं दी। फिर, 2018 में, उन्होंने फिर से परीक्षा दी और इस बार उनकी रैंक 97वीं थी।
हिमाद्री का कहना है कि इंटरव्यू परीक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके दौरान गंभीरता और सटीकता के साथ उत्तर देना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि आपको उत्तर नहीं पता, तो मुस्कुराकर न कहें और संतुलित उत्तर दें। उन्होंने अन्य उम्मीदवारों को भी सलाह दी कि वे इंटरव्यू के दौरान प्रोवोक किए जाने पर भी संयम बनाए रखें और मॉक टेस्ट देकर इंटरव्यू के माहौल से परिचित हों।
हिमाद्री कौशिक की सफलता उनके दृढ़ निश्चय, समर्पण और लगातार परिश्रम का परिणाम है, जो यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सफलता के लिए आवश्यक हैं। उनकी कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं।