रितिका जिंदल की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो विषम परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होते हैं। पंजाब की रहने वाली रितिका ने मात्र 22 वर्ष की आयु में यूपीएससी की कठिन परीक्षा पास कर न केवल अपने परिवार का, बल्कि अपने समाज का भी नाम रोशन किया। उनकी यह उपलब्धि इसलिए और भी विशेष है क्योंकि इस दौरान उनके पिता कैंसर से जूझ रहे थे।

रितिका का जन्म पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और इसके बाद दिल्ली के प्रतिष्ठित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया। बचपन से ही आईएएस बनने का सपना रखने वाली रितिका ने इस दिशा में अपनी तैयारी शुरू की।

रितिका जिंदल

उनका पहला प्रयास बहुत करीब से असफल हुआ, जिससे उन्हें निराशा हुई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी दृढ़ता और संकल्प के साथ उन्होंने अगले वर्ष दोबारा प्रयास किया और इस बार उन्होंने 88वीं रैंक हासिल कर उपलब्धि के नए आयाम स्थापित किए।

रितिका का मानना है कि किसी भी परीक्षा या चुनौती का सामना करते समय आत्मविश्वास और सकारात्मकता बहुत महत्वपूर्ण होती है। वह अन्य उम्मीदवारों को सलाह देती हैं कि विफलताओं से घबराए नहीं, बल्कि उनसे सीख लेकर और अधिक मेहनत करें। रितिका जिंदल की यह कहानी उन युवाओं के लिए एक मिसाल है जो अपने सपनों की ओर अग्रसर हैं, भले ही रास्ते में कितनी भी बाधाएँ क्यों न हों।

रितिका की इस असाधारण यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि कठिनाइयों के बावजूद, जब कोई अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होता है, तो सफलता अवश्य ही मिलती है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि हमेशा आशा और धैर्य के साथ अपनी मंजिल की ओर बढ़ना चाहिए।

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