अजहरुद्दीन काजी की कहानी उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प की गाथा है। महाराष्ट्र के यवतमाल में जन्मे अजहरुद्दीन का बचपन गरीबी में बीता। उनके पिता टैक्सी चालक थे, और उनकी आर्थिक स्थिति कठिनाइयों से भरी हुई थी। इसके बावजूद, उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की।
उन्होंने 2010 और 2011 में लगातार दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन असफल रहे। इसके बाद, उन्होंने बैंक में नौकरी की और करीब 7 साल तक वहां काम किया। आर्थिक स्थिति सुधरने पर, उन्होंने फिर से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। साल 2018 में, उन्होंने तीसरे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन चयनित नहीं हो पाए। अंततः, 2019 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास कर अपना सपना साकार किया।
अजहरुद्दीन का विश्वास था कि यदि आपमें जुनून है, तो आपकी पृष्ठभूमि मायने नहीं रखती। उनका मानना था कि लगातार प्रयास और मजबूत इरादों से सफलता संभव है। उन्होंने दिल्ली नॉलेज ट्रैक के इंटरव्यू में अन्य उम्मीदवारों को यही संदेश दिया कि असफलताएं केवल एक अवसर होती हैं, जो हमें मजबूत बनाती हैं।
अजहरुद्दीन की यात्रा हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों का पीछा करना कभी न छोड़ें। उनकी यात्रा उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो गरीबी और अन्य चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर हैं।