भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के लिए यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त करना कई लोगों के लिए एक सपना होता है। इस सफलता की कहानी में आज हम निकेतन बंसीलाल कदम की यात्रा का वर्णन कर रहे हैं, जो नासिक, महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव से आते हैं।
निकेतन का जीवन कठिनाइयों से भरा था। उनका बचपन गरीबी में बीता क्योंकि उनके पिता एक सामान्य किसान थे। वित्तीय संकट के बावजूद, निकेतन ने अपनी प्राथमिक शिक्षा जिला परिषदीय स्कूल में प्राप्त की। उन्होंने मराठी माध्यम से शिक्षा ग्रहण की और फिर डिप्लोमा और बीटेक की पढ़ाई की। बीटेक के बाद उन्हें एक आईटी कंपनी में नौकरी मिल गई, जहाँ उन्होंने लगभग दो वर्ष तक काम किया।
हालांकि, अच्छी सैलरी के बावजूद, निकेतन का मन नौकरी में नहीं लगा और उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने का निर्णय लिया। उन्होंने दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पहले दो प्रयासों में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे और तीसरे प्रयास में उन्होंने सभी चरण पार कर लिए। उनका वैकल्पिक विषय एंथ्रोपोलॉजी था।
निकेतन का मानना है कि सफलता के लिए तैयारी शुरू से करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रीलिम्स और मेन्स की तैयारी एक साथ करनी चाहिए और अच्छी तरह से रिवीजन करना चाहिए। उन्होंने शारीरिक व्यायाम और ध्यान को भी महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि ये दोनों चीजें तैयारी में सहायक होती हैं।
निकेतन की यह सफलता की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। उनका जीवन दर्शाता है कि कठिन परिश्रम, समर्पण और लगन से कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है।