आज हम बात करेंगे एक ऐसे प्रेरणादायक युवा की, जिसने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और सटीक रणनीति के सहारे यूपीएससी परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की। वैभव गोंडाने, महज 22 वर्ष की उम्र में यूपीएससी 2018 में ऑल इंडिया रैंक 25 प्राप्त कर आईएएस बने। उनकी यह सफलता न सिर्फ उनके लिए बल्कि उनके आसपास के युवाओं के लिए भी एक मिसाल बनी।
वैभव की सफलता की कहानी उन युवाओं के लिए एक पाठ है, जो यूपीएससी की चुनौतीपूर्ण परीक्षा को लेकर असमंजस में हैं। उन्होंने हाईस्कूल के बाद ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था और उसके प्रति समर्पित रहे। वैभव मानते हैं कि यूपीएससी के लिए मजबूत मोटिवेशन और दृढ़ निश्चय अत्यंत आवश्यक हैं। उनके अनुसार, इस परीक्षा में देश सेवा का जज्बा लेकर आने वाले
तिभागी अधिक समय तक दृढ़ता से तैयारी कर सकते हैं। वैभव का यह भी मानना है कि उच्च जीवनशैली की चाहत रखने वाले अक्सर इस कठिन परीक्षा की राह में जल्दी हार मान लेते हैं।
वैभव ने अपनी तैयारी के लिए सिलेबस को दो भागों में बांटा – पहला रीडिंग और दूसरा राइटिंग। उनका मानना है कि दोनों पहलुओं पर समान ध्यान देने से तैयारी में मदद मिलती है। उन्होंने न केवल किताबों पर निर्भर रहने की बजाय करंट अफेयर्स और आसपास की घटनाओं पर भी नजर रखी। उनका यह दृष्टिकोण उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ।
वैभव अन्य प्रतियोगियों को भी सलाह देते हैं कि वे सीमित किताबों के साथ तैयारी करें ताकि परीक्षा के लिए अधिक समय रिवीजन में लगा सकें। उनके
अनुसार, आंसर राइटिंग और मॉक टेस्ट पेपर्स का अभ्यास भी तैयारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे प्रतियोगी अपनी तैयारी का विश्लेषण कर सकते हैं और उन्हें अपनी कमजोरियों का पता चलता है। वैभव यह भी मानते हैं कि प्रतिदिन समाचार पत्रों को पढ़ना और आसपास हो रही घटनाओं के बारे में जागरूक रहना यूपीएससी की तैयारी का एक अनिवार्य अंग है।
वैभव की यह सफलता उनके निरंतर प्रयासों, सही दिशा में की गई कड़ी मेहनत, और उनके अदम्य साहस का प्रतीक है। उन्होंने न केवल अपने सपने को साकार किया, बल्कि अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने। उनकी कहानी यह सिखाती है कि यदि हमारी योजना स्पष्ट है और हमारे प्रयास निरंतर हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।