मेघा अरोड़ा की यूपीएससी सफलता की कहानी युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। उनकी यात्रा बताती है कि संघर्ष और दृढ़ संकल्प के बल पर किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। मेघा के माता-पिता, जो दोनों ही सिविल सेवक थे, ने उनके जीवन में इस लक्ष्य के प्रति प्रेरणा का बीज बोया।
2017 में, मेघा ने यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 108 हासिल की। उनकी यह उपलब्धि विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि उन्होंने इसे दो बार की असफलताओं के बाद हासिल किया। उनकी कहानी यह सिखाती है कि असफलताएं केवल एक पड़ाव हैं, मंजिल नहीं।
मेघा ने अपनी शिक्षा का एक भाग लंदन में पूरा किया, जहां उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। उनका सपना था भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करने का, जिसे उन्होंने यूपीएससी की सफलता के जरिए पूरा किया। इस सफलता के पीछे उनकी अथक मेहनत और सटीक रणनीति थी।
मेघा की यूपीएससी की यात्रा में, वे पहले दो प्रयासों में प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं। इससे उन्हें निराशा नहीं हुई, बल्कि उन्होंने अपनी रणनीति में सुधार किया और अगले प्रयास में उत्कृष्ट रैंक हासिल की। यह दिखाता है कि सफलता की ओर बढ़ने के लिए असफलताओं से सीखना और खुद में सुधार करना कितना महत्वपूर्ण है।
मेघा की सलाह अन्य यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए भी महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि टाइम मैनेजमेंट और बार-बार रिवीजन करना यूपीएससी की सफलता की कुंजी है। मेघा कहती हैं कि असफलता के बावजूद निराश न हों और गलतियों को पहचानकर उनमें सुधार करें। इसके साथ ही, उन्होंने आंसर राइटिंग प्रैक्टिस पर भी जोर दिया, जो परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मेघा अरोड़ा की कहानी युवाओं को यह सिखाती है कि सफलता की राह में बाधाएं आती हैं, लेकिन उन्हें पार करने की इच्छाशक्ति और लगन ही विजयी बनाती है। मेघा का संघर्ष और सफलता उन सभी के लिए एक मिसाल है जो यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षाओं का सामना कर रहे हैं। उनकी यात्रा बताती है कि संघर्ष के बावजूद, अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में अडिग रहना ही सच्ची सफलता की कुंजी है।