यूपीएससी की कठिन और चुनौतीपूर्ण यात्रा में, राघव जैन जैसे कई प्रतियोगी अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति और निरंतर प्रयासों से सफलता के नए आयाम स्थापित करते हैं। राघव की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे धैर्य, कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन से मुश्किल रास्तों पर भी जीत हासिल की जा सकती है।
राघव, जो पंजाब के लुधियाना से आते हैं, ने अपनी शैक्षणिक यात्रा बीकॉम और फिर एमबीए से शुरू की। उनके लिए यूपीएससी की ओर मुड़ना एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय था। एमबीए के बाद, राघव ने दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी शुरू की और फिर लुधियाना वापस लौट आए।
राघव का पहला प्रयास 2017 में हुआ, जहां उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा तो पास की, लेकिन मुख्य परीक्षा में असफल रहे। दूसरे प्रयास में भी उन्हें निराशा हाथ लगी। इस असफलता के बाद, राघव ने यूपीएससी के सफर को खत्म करने का मन बना लिया। हालांकि, परिवार और दोस्तों के अटूट समर्थन से प्रेरित होकर, उन्होंने एक और प्रयास किया और तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 127 हासिल कर सफलता का स्वाद चखा।
राघव का यह मानना है कि यूपीएससी की तैयारी में गहन अध्ययन के साथ-साथ स्मार्ट स्टडी भी जरूरी है। उनके अनुसार, सिलेबस की गहराई से समझ और निरंतर रिवीजन और उत्तर लेखन की अभ्यास परीक्षा में सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
राघव की सफलता की कहानी न केवल उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, बल्कि यह सभी के लिए एक संदेश है कि कठिनाइयों और असफलताओं के बावजूद, दृढ़ संकल्प और परिश्रम से सपने साकार हो सकते हैं। राघव की यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन में चुनौतियों का सामना करते हुए भी आगे बढ़ना और कभी हार न मानना अत्यंत आवश्यक है।