झारखंड के एक सामान्य परिवार से आने वाले अभिषेक कुमार की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो सपने देखते हैं और उन्हें साकार करने की जिद में लगे रहते हैं। अभिषेक ने अपने पहले प्रयास में विफलता का सामना किया, लेकिन उन्होंने इसे अपने संकल्प को मजबूत करने का अवसर माना।
उनका सफर आसान नहीं था। 2014 में पहले प्रयास में विफलता के बाद, अभिषेक ने एक साल का ब्रेक लिया और फिर से तैयारी शुरू की। 2016 में, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से पढ़ाई में जुट गए। इस बार, उनका चयन हो गया लेकिन रैंक 133 थी जिससे उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस में जगह मिली। लेकिन उनका लक्ष्य आईएएस था।
2017 में, अभिषेक ने फिर से प्रयास किया और इस बार उनकी रैंक और भी नीचे चली गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और 2019 में अपने चौथे प्रयास में उन्होंने टॉपर्स की सूची में अपना स्थान बनाया।
अभिषेक का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी रणनीति स्वयं बनानी चाहिए। उन्होंने बताया कि मॉक टेस्ट, गलतियों में सुधार और नोट्स बनाने की प्रक्रिया ने उनकी तैयारी को मजबूत किया। अभिषेक ने यह भी बताया कि आंसर राइटिंग और रिवीजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उनकी कठिनाइयों से भरी यात्रा यह साबित करती है कि संघर्ष और दृढ़ संकल्प के बल पर कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। अभिषेक कुमार ने न केवल अपने सपनों को साकार किया बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया कि किसी भी परिस्थिति में हार न मानने की भावना से बड़ी कोई सफलता नहीं होती। उनकी कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने की चाह रखते हैं।