यूपीएससी की कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करना एक दुर्लभ और गौरवपूर्ण उपलब्धि है। इस सफलता के पीछे कई बार अनगिनत असफलताएं, निराशाएं और कठिनाइयां होती हैं। इस यात्रा का एक उदाहरण है दिलीप सिंह शेखावत की कहानी, जिन्होंने समाज सेवा के जज्बे के साथ यूपीएससी की ओर कदम बढ़ाया और अंततः तीसरे प्रयास में अपनी मंजिल हासिल की।
दिलीप, जो राजस्थान के जोधपुर से ताल्लुक रखते हैं, ने अपनी शैक्षणिक यात्रा में एक उत्कृष्ट शुरुआत की। उन्होंने एनआईटी से एंट्रेंस परीक्षा पास की और वहां से केमिकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री प्राप्त की। उनका झुकाव समाज सेवा की ओर था, और इसी के चलते उन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र को छोड़कर यूपीएससी की तैयारी की दिशा अपनाई।
दिलीप का पहला प्रयास सफल नहीं हुआ, और दूसरे प्रयास में भी वे मेंस परीक्षा तो पास कर गए लेकिन इंटरव्यू में सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी तैयारी जारी रखी। उनकी लगातार मेहनत और दृढ़ता ने आखिरकार रंग लाया, और उन्होंने 2018 में यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 72 हासिल की।
दिलीप की सफलता से यह सीख मिलती है कि धैर्य और निरंतर मेहनत से किसी भी मुश्किल लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी सलाह है कि यूपीएससी परीक्षा में न सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि अपनी व्यक्तित्व को भी निखारना चाहिए। वे यह भी कहते हैं कि असफलताओं से घबराए नहीं और पूर्व गलतियों से सीखकर आगे बढ़ें। दिलीप की यह कहानी आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो उन्हें अपने सपनों की ओर बढ़ने के लिए उत्साहित करती है।