भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की परीक्षा, जो कि यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाती है, अपनी कठिनाई के लिए जानी जाती है। हर साल हजारों प्रतियोगी इस शिखर को छूने का सपना लेकर आते हैं। इनमें से कुछ की कहानियाँ असाधारण दृढ़ निश्चय और समर्पण की मिसाल बन जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है सुमित कुमार की।

सुमित का जन्म बिहार के जमुई में हुआ। उनके जीवन का आरंभिक चरण संघर्षों से भरा था, जहाँ शिक्षा के अच्छे साधन नहीं थे। उनके माता-पिता ने उन्हें उचित शिक्षा के लिए बोर्डिंग स्कूल में भेजा। सुमित ने अपनी कठोर परिश्रम से आईआईटी की परीक्षा पास की और उसके बाद एक आकर्षक नौकरी का ऑफर भी प्राप्त किया। परंतु उनकी आकांक्षा कुछ और ही थी।

सुमित कुमार

सुमित ने यूपीएससी की ओर अपना ध्यान लगाया। उनका पहला प्रयास असफल रहा, जहाँ वे प्रारंभिक परीक्षा में ही बाहर हो गए। परंतु उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी कमियों को पहचाना और उन्हें सुधारने का काम किया। उनका दूसरा प्रयास फलीभूत हुआ, लेकिन वांछित रैंक नहीं मिली। उन्हें इंडियन डिफेंस स्टेट सर्विस मिला, पर उनका लक्ष्य आईएएस बनना था।

इस दृढ़ निश्चय के साथ, सुमित ने तीसरा प्रयास किया और वे सफल हुए। उन्होंने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि अच्छी रैंक भी हासिल की। यह उनके संघर्ष, समर्पण और निरंतर परिश्रम का परिणाम था।

सुमित का मानना है कि यूपीएससी की तैयारी करते समय अपनी कमियों को पहचानना और उन्हें सुधारना जरूरी है। उनके अनुसार, इस परीक्षा में सफलता के लिए सही रणनीति और निरंतर कठोर परिश्रम की आवश्यकता होती है। सुमित की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कुछ बड़ा करने की चाह रखते हैं। उनकी यात्रा से यह सिद्ध होता है कि कठिनाइयों का सामना करते हुए भी सफलता संभव है, बशर्ते आपके इरादे मजबूत हों।

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