यूपीएससी की सफलता का मार्ग अक्सर उतार-चढ़ाव से भरा होता है, और हिमाद्री कौशिक की कहानी इसका उदाहरण है। हिमाद्री ने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 97वीं रैंक हासिल की, जो उनके संकल्प और कठिन परिश्रम का परिणाम था। उनका यह सफर आसान नहीं था। पहले प्रयास में वे असफल रहीं, दूसरे प्रयास में 304वीं रैंक प्राप्त करके IRS सेवा में चयनित हुईं, लेकिन उनका लक्ष्य IAS अफसर बनने का था।
हिमाद्री का शैक्षिक सफर भी प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने गोवा से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। उनकी इस यात्रा में, पहले प्रयास की असफलता ने उन्हें निराश नहीं किया, बल्कि उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और अगले प्रयासों में बेहतर प्रदर्शन किया।
हिमाद्री का यह भी मानना है कि यूपीएससी के इंटरव्यू में भाषा का चुनाव इतना महत्वपूर्ण नहीं होता, जितना कि आपकी पर्सनालिटी। वे कहती हैं कि किसी भी भाषा में इंटरव्यू देकर सफलता प्राप्त की जा सकती है।
अन्य यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए हिमाद्री की सलाह है कि सही दिशा में लगातार कठिन परिश्रम और सिलेबस की पूरी समझ के साथ मॉक टेस्ट देना और गलतियों से सीखना जरूरी है। उनका कहना है कि असफलता मिलने पर घबराने की बजाय, इससे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। हिमाद्री की यह कहानी न केवल यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणास्रोत है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहा है।