जीवन में संघर्षों का सामना करना और उनसे उभरकर सफलता प्राप्त करना, यही वह मंत्र है जिसे अंकुश कोठारी ने अपनाया। उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह उन सभी युवाओं के लिए एक उदाहरण है जो कठिनाइयों के बीच अपने सपनों को पूरा करने का संकल्प रखते हैं।
अंकुश की यात्रा एक सामान्य परिवार से शुरू होती है, जहां वित्तीय चुनौतियां और माता-पिता के अलगाव ने उनके बचपन को कठिन बना दिया था। उनकी मां, एक प्राइवेट स्कूल की शिक्षिका, ने अंकुश को अकेले पाला और उन्हें शिक्षा दिलाने का प्रयास किया। अंकुश ने अपनी पढ़ाई के प्रति समर्पण दिखाया और आईआईटी कानपुर से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
उनकी जिंदगी में एक अहम मोड़ तब आया जब उन्होंने अपनी इंटर्नशिप के दौरान आईएएस अफसरों की कार्यशैली को देखा। इस अनुभव ने उन्हें यूपीएससी की ओर प्रेरित किया। एक आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव को ठुकराकर अंकुश ने यूपीएससी की कठिन तैयारी शुरू की। उनके पहले दो प्रयास असफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। तीसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 429 हासिल की।
अंकुश की सफलता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कठिन परिश्रम, स्मार्ट वर्क, और धैर्य से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है। उनकी यात्रा उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है जो यूपीएससी की चुनौतीपूर्ण परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। अंकुश कोठारी ने साबित कर दिया है कि संघर्षों के बावजूद सपने सच हो सकते हैं, बस जरूरत है तो दृढ़ निश्चय और सतत प्रयास की।