कार्तिक का सफर, जो इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद शुरू हुआ, उनकी अद्भुत दृढ़ संकल्पता का प्रतीक है। उनकी सफलता की कहानी विद्यार्थियों के लिए एक उदाहरण है कि कैसे दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम से मुश्किल से मुश्किल लक्ष्य भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद, कार्तिक ने आईआईटी की ओर रुख किया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें आईआईटी में प्रवेश दिलवाया, जहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री हासिल की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उनकी रुचि और लक्ष्य बदल गए। उन्होंने अपने करियर की दिशा बदलकर यूपीएससी की ओर अग्रसर होने का निर्णय लिया।
कार्तिक ने इस नए लक्ष्य के लिए कोचिंग की मदद ली और अपनी तैयारी में जुट गए। उन्होंने अपने सिलेबस को अच्छी तरह से समझा, स्टडी मैटेरियल इकट्ठा किया और एक सख्त अध्ययन रणनीति बनाई। उनकी कठिन मेहनत, निरंतर रिवीजन और समय प्रबंधन की क्षमता ने उन्हें पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में सफलता दिलाई।
कार्तिक की इस यात्रा से सीखने के लिए कई पाठ हैं। उनका मानना है कि सिर्फ कोचिंग पर निर्भर रहने के बजाय सेल्फ स्टडी पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने इंटरनेट और सोशल मीडिया का भी सही उपयोग किया, जो उनके अध्ययन में सहायक रहा। उनकी सलाह है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं के अनुरूप एक रणनीति बनानी चाहिए और उस पर ईमानदारी से अमल करना चाहिए। उनकी इस सफलता की कहानी यह संदेश देती है कि सही दिशा में कड़ी मेहनत और समर्पण भाव से सफलता निश्चित रूप से मिलती है।