आईएएस बनने की यात्रा में धैर्य और निरंतर मेहनत दो महत्वपूर्ण तत्व होते हैं। आशुतोष कुलकर्णी की कहानी इस बात का प्रतीक है कि कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद यूपीएससी की ओर अपना रुख किया और यहाँ उन्हें अपने सपने को साकार करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
आशुतोष ने तीन बार यूपीएससी की परीक्षा में असफलता का अनुभव किया। यह असफलताएं उनके लिए निराशा का कारण नहीं बनीं, बल्कि उन्होंने इसे अपनी सफलता की सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल किया। उनकी यात्रा यह सिखाती है कि सफलता प्राप्त करने के लिए असफलताओं का सामना करना पड़ता है और उनसे सीख लेनी पड़ती है।
2019 में आशुतोष ने अपनी लगातार मेहनत का फल प्राप्त किया और यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 44 हासिल की। उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ उनके लिए, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो असफलताओं के कारण अपने सपनों को छोड़ देते हैं।
आशुतोष का मानना है कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान नोट्स बनाना, रिवीजन, और आंसर राइटिंग प्रैक्टिस अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मॉक टेस्ट देकर अपनी तैयारी का आकलन करें और गलतियों को सुधारें। उनका यह संदेश है कि असफलताओं से घबराए नहीं और उनसे सीखकर अपने प्रयासों को और भी बेहतर बनाएं।
आशुतोष कुलकर्णी की यह कहानी युवाओं को यह सिखाती है कि सफलता का मार्ग कठिनाइयों से भरा हो सकता है, लेकिन अंततः धैर्य और निरंतर प्रयास से वे अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं। उनकी यह सफलता उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो सपने देखते हैं और उन्हें साकार करने के लिए अथक परिश्रम करते हैं।