मुंबई, महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी, जहाँ जीवन की रफ्तार कभी थमती नहीं है, आज एक अनूठी चुनौती से गुजर रहा है। शहर के करीब 200 पेट्रोल पंपों में से दस प्रतिशत पेट्रोल पंप पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति ना हो पाने के कारण ‘सूखे’ बने हुए हैं। इस स्थिति का मुख्य कारण ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल रही है, जिसने न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश में जरूरी वस्तुओं की सप्लाई को प्रभावित किया।
हड़ताल के समाप्त होने के बावजूद, ईंधन की सप्लाई में विलंब के कारण, शहर के अनेक पेट्रोल पंप सूखे की स्थिति में हैं। विशेष रूप से, दक्षिण मुंबई में, जहां पुराने पेट्रोल पंपों के टैंक छोटे होते हैं और स्टॉक की क्षमता कम होती है, समस्या अधिक गंभीर है। यहां कई पंप ड्राय हो गए हैं और ईंधन की जरूरत रखने वाले टैंकरों की लंबी कतारें पेट्रोल रिजर्व डिपो के बाहर देखी जा सकती हैं।
मुंबई की दैनिक आवश्यकता लगभग 25 लाख लीटर पेट्रोल की है, और इस हड़ताल के कारण, आपूर्ति में 2.5 से 3 लाख लीटर तक की कमी आई है। फिर भी, उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी। अखिल भारतीय भारत गैस वितरक संघ, मुंबई के अध्यक्ष दीपक सिंह के अनुसार, हड़ताल के दौरान भी पुलिस की सहायता से ईंधन की आपूर्ति की गई थी, और अब समस्या का हल हो रहा है।
हड़ताल के साइड इफेक्ट्स के रूप में, स्थानीय बाजारों में आम दिनचर्या के सामानों और हरी सब्जियों के लिए लोगों ने निर्धारित दामों से दो-गुने, तिगुने दाम चुकाने पड़े। इस अफवाह ने कि पेट्रोल-डीजल खत्म होने वाला है और सामान नहीं मिलेगा, लोगों को भंडारण की ओर प्रेरित किया और कईयों ने आवश्यकता से अधिक सामान खरीद लिया।
मुंबई शहर इस समस्या का सामना कर रहा है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारी इस समस्या के समाधान के लिए सक्रिय हैं। नागरिकों को भी आश्वस्त किया जा रहा है कि जल्द ही स्थिति में सुधार होगा और पेट्रोल पंपों पर ईंधन की आपूर्ति फिर से सुचारु रूप से शुरू हो जाएगी।